Govardhan Puja 2025 Date: गोवर्धन पूजा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा हर साल दिवाली के अगले दिन मनाने का विधान है। लेकिन इस साल दिवाली की तिथि दो दिन होने की वजह से गोवर्धन पूजा की सही तिथि को लेकर लोग कंफ्यूज है। इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाने की परंपरा है। साथ ही यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण और गाय माता को समर्पित है। वहीं मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवों के राजा इंद्र का घमंड चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। इस साल गोवर्धन पूजा का त्योहार 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व…
गोवर्धन पूजा तिथि 2025 (Govardhan Puja Tithi 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर होगी। इसका समापन 22 अक्तूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा। इसलिए इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्तूबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा 2025 शुभ मुहूर्त
इस साल गोवर्धन पूजा पर दोपहर 03 बजकर 13 मिनट से शाम 05 बजकर 49 मिनट तक शुभ मुहूर्त बन रहा है। इस तिथि पर स्वाति नक्षत्र और प्रीति का संयोग रहेगा। जो पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है।
इन मंत्रों का करें जप
1. गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
2. हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥
3. ‘ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।’
गोवर्धन भगवान की आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।