Ganesh Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है।  इस महापर्व की शुरुआत भादो शुक्ल चतुर्थी को होती है और चतुर्दशी तिथि को गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन हो जाता है। वहीं इस दौरान भक्तजन घरों, दफ्तरों, दुकानों और मंदिरों में गणपति जी की मूर्ति को स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक उनकी विधि विधान से पूजा- अर्चना करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है। वहीं ज्योतिष में ऐसे मंत्रों और स्त्रोत का पाठ मिलता है। जिसका पाठ इस दिन पाठ करने से धन- समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही गणपति की कृपा बरसेगी। आइए जानते हैं ये इन मंत्रों और स्त्रोत के बारे में…

Ganesh Chaturthi 2025 Date, Puja Timings: 26 या 27 अगस्त कब है गणेश चतुर्थी? जानिए तिथि, गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और आरती

॥ ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् ॥

ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥

एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥

पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥

सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

गणेश मंत्र

1. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

2. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

3. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

4. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

5. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

6. ‘गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

7. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

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