Eid ul-Adha 2023: आज यानी 29 जून को देशभर में ईद-उल-अज़हा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसे बकरीद भी कहा जाता है। आज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज़ अदा करके बकरे की कुर्बानी देते है। इसके साथ ही बकरे के गोश्त को तीन जगहों पर बांटा जाता है। जानिए आखिर क्यों मनाई जाती है बकरीद और बकरे की कुर्बानी देने के पीछे क्या है कारण?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, इस्लाम का 12 महीना धूल हिज्जा होता है और इसी में बकरीद का पर्व मनाया जाता है। बकरीद को कुर्बानी के रूप में मनाया जाता है।
देशभर में मनाया जा रहा है बकरीद का पर्व
दिल्ली, लखनऊ सहित देश के कोने-कोने में लोग नमाज़ अदा कर बकरे की कुर्बानी दे रहे हैं। इसके साथ ही एक-दूसरे को ईद-उल-अज़हा की मुबारकबाद दे रहे हैं।
राजस्थान के जयपुर में भी नमाज़ अदा करके एक-दूसरे को ईद-उल-अज़हा की मुबारकबाद दी।
बकरीद में क्यों देते हैं बकरे की कुर्बानी?
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस्लाम धर्म के अनुसार, हज़रत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे, जो काफी उम्र में पिता बने थे। वह अपने इकलौते बेटे इस्माइल को दिलो-जान से चाहते थे। एक बार अल्लाह ने हजरत साहब की इम्तिहान लेने की सोची। फिर उन्होंने पैगंबर हज़रत को ख्वाब में अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने को कहा। ऐसे में हज़रत साहब ने सोचा कि आखिर ऐसी कोई सी चीज है, जो मुझे सबसे प्यारी है। ऐसे में उन्हें अपने बेटे इस्माइल का ख्याल आया। उन्होंने अल्लाह की बात का ख्याल रखकर अपने ही बेटे की कुर्बानी देने का मन बना लिया। जब हज़रत साहब अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला और उनसे बोला कि आप अपने बेटे की बजाय किसी जानवर की कुर्बानी दे सकते हैं। लेकिन उन्होंने खुद से कहा कि ये तो अल्लाह के साथ धोखा होगा। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ही कुर्बानी देने का मन बना लिया था।
हज़रत साहब अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे, लेकिन अल्लाह के सामने वह झुक गए। बेटे को अपने सामने मारता नहीं देख सकते थे। इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि बेटे का मोह अल्लाह की राह में बाधा न बने। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक डुम्बा (एक प्रकार का बकरा) कुर्बान हो गया है। उसके बाद से ही बकरे की कुर्बानी देने का चलन शुरू हुआ।
कुर्बानी के बाद क्या करते है बकरे का?
नमाज़ के बाद घर के किसी एक सदस्य के नाम पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इसके बाद इसके गोश्त को तीन भागों में बांटा जाता है। पहला भाग घर के लिए, दूसरा भाग किसी करीबी के लिए और तीसरा भाग किसी जरूरतमंद या गरीब को दिया जाता है।