Eid Al-adha/Bakrid 2019: ईद-उल-अजहा और ईद-उल-जुहा का त्यौहार भारत में 12 अगस्त को मनाया जा रहा है। ईद-उल-फित्र यानी मीठी ईद के 2 महीने बाद आने वाले इस त्यौहार में मुस्लिम समुदाय बड़ी संख्या में बकरे की कुर्बानी देता है। कुछ लोग ईद उल अजहा को बकरीद कहे जाने का अर्थ इस दिन बकरे की दिये जाने वाली कुर्बानी से जोड़कर देखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल अरबी भाषा में बकर का अर्थ है बड़े जानवर से है जिसका जिबह किया जाता है अर्थात जिसे काटा जाता है। उसी से जोड़कर आज भारत, पाकिस्तान और बांगला देश में इसे बकरा ईद कहते हैं। बकरीद के दिन खाली बकरे की ही कुर्बानी नहीं दी जाती बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने प्रिय जानवर की कुर्बानी देनी होती है।

Bakrid 2019 Date in India: आज है ईद-उल-अज़हा, जानिए किसकी याद में मनाया जाता है बकरीद का यह त्यौहार

मुस्लिम समुदाय में यह पर्व हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है। ईद ए कुर्बा का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी भाषा में कर्ब का मतलब नजदीकी से होता है। मतलब यह ऐसा मौका होता है जब इंसान भगवान के काफी करीब रहता है। बकरीद पर्व का मुख्य उद्देश्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव को जगाना है। बकरीद का यह पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धान्त हज को भी मान्यता देता है। इस्लाम के पांच फर्जों में हज भी शामिल है। हज यात्रा पूरी होने की खुशी में ईद-उल-जुहा का त्योहार मनाया जाता है। इस्लामिक नियम कहता है कि पहले अपना कर्ज उतारें, फिर हज पर जाएं और उसके बाद बकरीद मनाएं।

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बकरीद से कुछ दिन पहले ही बकरे को खरीद कर रख लिया जाता है। देश-विदेश में इस पर्व पर बड़ी रौनक रहती है। कुर्बानी के इस त्योहार पर ईद की नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में भारी भीड़ होती है। नमाज के बाद लोग बकरे, भेड़, ऊंट आदि अपने प्रिय जानवरों की कुर्बानी देते हैं। बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। उस गोश्त का एक भाग खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरा गरीबों के लिए रखा जाता है। ईद उल फितर की तरह ही ईद-उल-ज़ुहा में भी ज़कात यानी गरीबों को दान देना अनिवार्य होता है ताकि खुशी के इस मौके पर कोई गरीब महरूम ना रह जाए।