Dussehra Vijayadashami Puja Vidhi and Shubh Muhurat: शास्त्रों में दशहरा का विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। साथ ही दशहरा अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार दशहरा तिथि पर ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए यह पर्व विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं दशहरा या विजयादशमी के दिन बिना शुभ मुहूर्त भी शुभ कार्यों को किया जा सकता है। मतलब इस दिन गाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान,सोना खरीदना शुभ माना जाता है। क्योंकि अबूझ मुहूर्त होता है। साथ ही इस साल दशहरा पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं शुभ योग और मुहूर्त…
दशहरा और विजयदशमी तिथि
वैदिक पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 23 अक्तूबर 2023 को शाम 5 बजकर 41 मिनट से हो रही है और ये 24 अक्तूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि को आधार मानते हुए इस साल 24 अक्तूबर को विजयदशमी और दशहरा मनाया जाएगा।
बन रहे हैं ये शुभ मुहूर्त
विजयदशमी के दिन 2 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। ये शुभ योग रवि और वृद्धि हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन योगों को बेहद शुभ माना जाता है।
विजयादशमी 2023 पूजा का मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार विजयादशमी के दिन सुबह 11 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। वहीं इसके बाद दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से 3 बजकर 36 मिनट तक शस्त्र पूजा कर सकते हैं।
रावण दहन का शुभ मुहूर्त
दशहरा पर शहर- शहर रावण, कुंभकरण और रावण के पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करने का विधान है। मान्यता है कि रावण दहन अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए तो इसका शुभ प्रभाव पड़ता है। वहीं शास्त्रों में रावण दहन प्रदोष काल में करना शुभ माना गया है। इसलिए रावण के दहन का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 21 मिनट सें शुरू हो रहा है और 06 बजकर 58 तक रहने वाला है। वहीं इस समय वृद्धि योग का भी है. इसलिए इस मुहूर्त में रावण दहन करने का उत्तम समय है।
जानिए दशहरा और विजयदशमी का महत्व
इस दिन पुरुषोत्तम श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। इसलिए इस दिन को दशहरा कहा जाता है। साथ ही शास्त्रों के अनुसार इस दिन इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, तब ही से विजय दशमी का पर्व मनाया जा रहा है। साथ ही इस दिन किए गए नए कार्यों में सफलता हासिल होती है। विजयादशमी या दशहरा के दिन श्रीराम, मां दुर्गा, श्री गणेश और हनुमान जी की आराधना करके परिवार के मंगल की कामना की जाती है। वहीं इस दिन शस्त्रों का पूजन करने का भी विशेष महत्व है।