Maha Navami 2018 Puja Vidhi, Mantra, Muhurat: आश्विन महीने में आने वाले नवरात्र की नवमी को महानवमी कहा जाता है। यह दुर्गा पूजा का तीसरा और आखिरी दिन होता है। इसके ठीक बाद विजयादशमी का त्योहार आता है। ऐसी मान्यता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस साल 17 अक्टूबर को महानवमी है। इस दिन श्रद्धालु कन्या पूजन करते हैं। छोटी कन्याओं को घर पर बुलाकर उन्हें भोजन कराया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। कन्या पूजन के बाद ही 9 दिनों के व्रत को खोलने का विधान है। मान्यता है कि पूरी निष्ठा और आस्था के साथ महानवमी पर देवी की पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। सभी कष्ट दूर होते हैं। वांछित फल मिलते हैं। जीवन में खुशियों का संचार होता है। सकारात्मक उर्जा मिलती है।

महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा कर नवरात्र का समापन किया जाता है। देवताओं के मनोरथ सिद्ध करने के कारण मां दुर्गा सिद्धिदात्री कहलाईं। इसके अलावा माना जाता है कि सिद्धिदात्री मां का पूजन करने से 8 सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि नवरात्र की नवमी के ही दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इस वजह से उन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है।

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महिषासुर वध – शास्त्रों की माने तो महानवमी के दिन मां पार्वती ने दुर्गा रूप धारण कर महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था। माना जाता है कि महिषासुर नाम के एक राक्षस ने सभी देवताओं को त्रस्त कर रखा था। देवताओं की गुहार पर मां पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और महिषासुर से 8 दिनों तक लगातार युद्ध किया। इसके बाद उन्होंने नवें दिन महिषासुर का वध किया। इसीलिए, शारदीय नवरात्र की नवमी को महानवमी कहा जाता है।

इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुंदर के किनारे मां दुर्गा की उपासना की थी। दसवें दिन उन्होंने लंका के राजा रावण का वध करके असत्य पर सत्य की जीत का दृष्टांत प्रस्तुत किया। इसीलिए, नवरात्र के ठीक बाद विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। महानवमी पर दुर्गा पूजन का विधान युगों युगों से चलता आ रहा है। भविष्य पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर के संवाद में भी दुर्गा महानवमी का जिक्र मिलता है।

पूजा विधि – नवरात्र के आखिरी दिन कन्या पूजन का विधान है। 9 दिनों तक व्रत रहने वाले लोगों के लिए कन्या पूजन अनिवार्य है। इसके लिए छोटी बच्चियों को घर पर बुलाकर भोजन कराया जाता है, उन्हें दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है। इसके अलावा इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए नवान्न का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के फल-फूल इत्यादि सिद्धिदात्री को अर्पित किए जाते हैं। देवी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है –

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥