Dhanteras 2023: आज देशभर में धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। मान्यता है कि आज के दिन समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर धन्वंतरी प्रकट हुए थे। इसी के कारण आज उनकी पूजा का विधान है। इसके अलावा आज मां लक्ष्मी के साथ कुबेर भगवान की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। दिवाली के दिन नई गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करते पूजा की जाती है। जिन्हें धनतेरस के दिन खरीदना शुभ माना जाता है। अगर आप भी गणेश लक्ष्मी की मूर्ति खरीदने जा रहे हैं, तो इन बातों का ख्याल रखें।
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदने का शुभ समय
दिवाली पूजा के लिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की खरीदारी धनतेरस के दिन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन मूर्ति खरीदने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही माना जाता है कि इस दिन मूर्ति खरीदने से मां लक्ष्मी का पैर आपके घर पड़ता है, जिससे साल भर सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है। हालांकि अगर आप धनतेरस से लेकर दिवाली तक गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति खरीद सकते हैं।
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
अभिजीत मुहूर्त- 10 नवंबर को धनतेरस पर सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया- सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक।
चर चौघड़िया- शाम 04 बजकर 07 मिनट से शाम 05 बजकर 30 मिनट तक
लक्ष्मी गणेश की मूर्ति लाते समय ध्यान रखें ये बातें
अलग-अलग लें गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति
दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि हमेशा अलग-अलग दोनों की मूर्ति हो। कभी भी जुड़ी हुई मूर्तियां नहीं खरीदना चाहिए।
बैठी मुद्रा में लें गणपति की मूर्ति
भगवान गणेश की मूर्ति लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह बैठी मुद्रा में हो। कभी भी खड़ी मुद्रा में मूर्ति न रखें।
ऐसी खरीदें मां लक्ष्मी की मूर्ति
मां लक्ष्मी की मूर्ति लाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह कमल में विराजमान हो। कमल में विराजित मां लक्ष्मी मूर्ति रखना शुभ माना जाता है।
इस तरह होनी चाहिए गणेश जी की सूंड़
भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि उनकी सूंड बाएं ओर मुड़ी हो, क्योंकि दाएं ओर मां लक्ष्मी विराजित होती है।
गणेश मूर्ति के पास मूषक हो जरूर
गणपति जी की मूर्ति के साथ मूषक होना बेहद जरूरी है, क्योंकि उनका वाह मूषक महाराज है। इसलिए इस तरह की मूर्ति ही लें।
न खरीदें गणेश-लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति
कभी भी मां लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति न लें जिसमें वह उल्लू में सवार हो, क्योंकि इस स्वरूप को काली या फिर अलक्ष्मी का स्वरूप माना जाताहै। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी खड़ी मुद्रा में मूर्ति न लें।