Dhanteras 2018 Laxmi Puja Vidhi, Mantra, Muhurat, Time, Samagri: इस साल धनतेरस का त्योहार 5 नवंबर यानी सोमवार को है। धनतेरस पर घर में कोई नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है। इसे दिवाली के दो दिन पहले मनाते हैं। यह दिन खरीदारी के लिहाज से खास है। इस दिन लोग सोने और चांदी से बनी चीजें खरीदना शुभ मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदने से घर में लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं। और घर में सुख-समृद्धि और धन की कमी नहीं होती। इसलिए घर में इस दिन हमेशा कोई नई चीज खरीदकर लाते हैं। इस बीच हम आपको इस साल धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहुर्त, मंत्र और व्रत कथा बता रहे हैं।
शुभ मुहूर्त: धनतेरस पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक का है। शुभ मुहूर्त की अवधि 1 घंटा 55 मिनट की होगी। इसके अलावा इस दिन अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार से हैं।
प्रदोष काल: शाम 5.29 से रात 8.07 बजे तक
वृषभ काल: शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे
त्रयोदशी तिथि खत्म: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे।
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मंत्र: धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें।
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान,
दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो,
धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…।।
व्रत कथा: एक बार लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को उनके साथ पृथ्वी लोक चलने को कहा। इस पर विष्णु जी ने कहा कि पृथ्वी लोक पर जाकर वे(लक्ष्मी जी) वहां की मोह माया से प्रभावित नहीं होंगी। और न ही दक्षिण दिशा में देखेंगी। इस शर्त पर वे उनके साथ पृथ्वी पर चलेंगे। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी की ये शर्त मान ली। लेकिन धरती पर पहुंचकर लक्ष्मी जी ने उत्सुकतावश दक्षिण दिशा में देख लिया। साथ ही वह शर्त तोड़ते हुए दक्षिण दिशा में चल पड़ीं। दक्षिण दिशा में लक्ष्मी जी सरसों और गन्ने के खेत देखकर मोहित हो गईं। इसके बाद उन्होंने खुद को सरसों के फूलों से सजाया और गन्ने के रस का पान किया।
विष्णु जी ने यह देखा लिया कि लक्ष्मी जी ने शर्त का उल्लंघन किया है। इस पर उन्होंने लक्ष्मी जी से अगले 12 वर्ष तक धरती पर रहने को कहा। साथ ही जिस किसान ने यह खेती की है, उसकी सेवा करने को कहा। लक्ष्मी जी के आगमन से गरीब किसान रातोंरात अमीर और समृद्धशाली हो गया। ऐसे ही धीरे-धीरे 12 साल बीत गए और लक्ष्मी जी के बैकुंठ वापस जाने का समय हो गया।
विष्णु जी जब धरती पर लक्ष्मी जी को वापस लेने आए तो किसान ने लक्ष्मी जी को वापस करने से मना कर दिया। विष्णु जी की लाख कोशिशों के बावजूद किसान लक्ष्मी जी को वापस करने को तैयार नहीं हुआ। इस लक्ष्मी जी ने किसान से कहा कि कल तेरस है। इस दिन तुम मेरी पूजा करोगे तो घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाएगा। किसान ने ऐसा ही किया और तभी से धनतेरस की पूजा दुनिया भर में फैल गई।