Kuber Devta Ki Aarti Lyrics in Hindi: हिंदू धर्म में भगवान कुबेर की पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। उन्हें देवताओं के कोषाध्यक्ष और यक्षों के अधिपति कहा गया है। भगवान कुबेर को धन, वैभव और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिन भक्तों पर कुबेर देव की कृपा होती है, उन्हें कभी आर्थिक तंगी या धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। उनके जीवन में सदैव सुख, सौभाग्य और संपन्नता का वास बना रहता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ-साथ कुबेर देव की भी विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा आश्विन मास की पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा कहा जाता है, भी कुबेर जी की उपासना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है, क्योंकि मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान कुबेर का जन्म हुआ था। बता दें कि कुबेर जी की पूजा उनकी आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए धनतेरस के दिन उनकी आराधना के अंत में भक्तों को कुबेर जी की आरती अवश्य करनी चाहिए। ऐसे में यहां पढ़ें पूरी आरती…
कुबेर जी की आरती (Kuber Devta Ki Aarti Lyrics in Hindi)
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
कुबेर देव को आहुति देने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें।
जपतामुं महामन्त्रं होमकार्यो दिने दिने
दशसंख्य: कुबेरस्य मनुनेध्मैर्वटोद्भवै