Dev Uthani Ekadashi 2019 : देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में गए भगवान विष्णु चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर अपनी योग निद्रा से जागते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल ये एकादशी 8 नवंबर को है। इस दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है। साथ ही इसी दिन से चार महीनों से वर्जित शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे। नवंबर महीने की 19, 20, 21, 22, 23, 28 व 30 तारीख को विवाह के सबसे शुभ मुहूर्त हैं। जानिए देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा और महत्व…
देवउठनी एकादशी का महत्व – देवश्यनी एकादशी से बंद हुए शुभ कार्य देवउठनी एकादशी से फिर से शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद सभी देवी देवता, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली भी मनाई जाती है।
कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत – इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर को मारा था। इस राक्षस को मारने से पहले भगवान विष्णु का उससे लंबे समय तक युद्ध चलता रहा। युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु थक कर क्षीरसागर में जाकर सो गए और सीधे कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे। तब सभी देवी-देवताओं ने भगवान विष्णु का पूजन किया। इसी वजह से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है।
एक कथा ये भी प्रचलित है कि एक बार माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से पूछती हैं कि स्वामी आप या तो रात-दिन जगते ही हैं या फिर लाखों-करोड़ों वर्ष तक योग निद्रा में ही रहते हैं, आपके ऐसा करने से संसार के समस्त प्राणी उस दौरान कई परेशानियों का सामना करते हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा। लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्कुराए और बोले- ‘देवी! तुमने ठीक कहा है। मेरे जागने से सब देवों और खासकर तुमको कष्ट होता है। तुम्हें मेरी वजह से जरा भी अवकाश नहीं मिलता। अतः तुम्हारे कथनानुसार आज से मैं प्रतिवर्ष 4 माह वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी। मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी होगी। इस काल में मेरे जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे और शयन व उत्थान के उत्सव को आनंदपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में, मैं आपके साथ निवास करूंगा।’