Chhath Puja 2024 Sunrise Time (Surya Udaygami) In UP, Bihar, Patna, Ranchi: हिंदू धर्म में आस्था का महापर्व छठ का विशेष महत्व है। चार दिनों तक चलने वाला ये पर्व 5 नवंबर को आरंभ हुआ था, जो 8 नवंबर को उगते हुए को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाता है। छठ महापर्व को सबसे कठोर व्रतों में से एक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। पहला दिन नहाय खाय के साथ आरंभ होता है। उसके बाद खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन सूर्योदय में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। खरना में खीर का विशेष प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है, जो चौथे दिन उषा अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती पवित्र जल के अंदर यानी किसी नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं। आइए जानते हैं शहर के अनुसार उषा अर्घ्य का समय और विधि…
सूर्य देव की आरती
छठ पूजा 2024 उषाकाल अर्घ्य का समय | Chhath Puja 2024 Usha Arghya Time
द्रिक पंचांग के अनुसार, शहर, राज्य के अनुसार सूर्योदय के समय में थोड़ा सा बदलाव हो सकता है। दिल्ली में सूर्योदय के समय की बात करें, तो सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में उषाकाल अर्घ्य सुबह 6:38 बजे दिया जाएगा।
शहर | सूर्यास्त का समय |
दिल्ली | सुबह 6 बजकर 38 मिनट |
मुंबई | सुबह 6 बजकर 42 मिनट |
पटना | सुबह 6 बजकर 2 मिनट |
बनारस | सुबह 6 बजकर 20 मिनट |
लखनऊ | सुबह 6 बजकर 21 मिनट |
गोरखपुर | सुबह 6 बजकर 11 मिनट |
प्रयागराज | सुबह 6 बजकर 15 मिनट |
धनबाद | सुबह 5 बजकर 54 मिनट |
भागलपुर | सुबह 5 बजकर 54 मिनट |
सीवान | सुबह 6 बजकर 06 मिनट |
पूर्णिया | सुबह 5 बजकर 53 मिनट |
किशनगंज | सुबह 5 बजकर 52 मिनट |
जमशेदपुर | सुबह 5 बजकर 54 मिनट |
रांची | सुबह 5 बजकर 38 मिनट |
कोलकाता | सुबह 5 बजकर 45 मिनट |
गाजियाबाद | सुबह 6 बजकर 38 मिनट |
मेरठ | सुबह 6 बजकर 27 मिनट |
बिहार शरीफ | सुबह 6 बजे |
कैसे दें उगते हुए सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे दिन उषा अर्घ्य को समर्पित है। इस दौरान उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ पूजा की जाती है। इस दिन व्रत अखंडित वस्त्र पहनते हैं। इसके साथ ही एक थाली में दूध, गंगाजल, हल्दी, सुपारी, अक्षत, दीपक, अगरबत्ती आदि रख लें। एक लोटे में जल, गंगाजल, सिंदूर, फूल आदि डाल लें। इसके बाद तालाब, नदी में कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को मंत्रों के साथ अर्घ्यदें। इसके बाद अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। फिर सूर्य देव से सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। इसके साथ ही छठी मैया की आराधना करें। अंत में व्रत प्रसाद ग्रहण करने के साथ अपना व्रत खोलें।
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