Chhath 2025, Surya Dev Aarti Lyrics: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 25 अक्टूबर से छठ महापर्व का शुभारंभ हो चुका है, जो कार्तिक मास की सप्तमी तिथि अर्थात 28 अक्टूबर को सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करने के साथ संपन्न होगा। इस पर्व में छठ मैया के साथ सूर्य देव की पूजा का विशेष विधान है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत की शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय से होती है, दूसरे दिन खरना का अनुष्ठान किया जाता है, तीसरे दिन सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है और चौथे दिन उषा काल में उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। यह व्रत अत्यंत कठोर माना जाता है, क्योंकि व्रती पूरे 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं। छठ महापर्व पर छठी मैया के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ-साथ आरती करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सूर्य देव की आरती ऊं जय सूर्यदेव भगवान लिरिक्स इन हिंदी..
सूर्य देव की आरती ( Surya Dev Aarti)
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
सूर्य देव के मंत्र (Surya Dev Mantra)
ऊं घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
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