मंगलवार (16 जुलाई, 2019) आषाढ़ शुक्लपक्ष की पूर्णिमा है, यानी गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण का भी अद्भुत संयोग बना रहा। चंद्र ग्रहण की शुरुआत 17 जुलाई की रात 1. 31 बजे से हुई और सुबह के बजकर 29 मिनट पर यह दोष समाप्त हुआ। यह चंद्रग्रहण भारत के अलावा तमाम दूसरे देशों में नजर आया। ज्योतिषियों के मुताबिक इस साल के चंद्र दोष से जहां तमाम राशि के जातकों को अनुकूल फल मिलेंगे तो वहीं कई की सेहत और नौकरी में समस्याएं आ सकती हैं। इस तरह चंद्रग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे रही। यह आंशिक चंद्र ग्रहण था। आपको बता दें कि यह ग्रहण 2019 का आखिरी चंद्र ग्रहण है। इस साल दो चंद्र ग्रहण पड़े जिसमें पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को पड़ा था जबकि 16 से 17 जुलाई के बीच रहा।
149 साल बाद ग्रहण और गुरु पूर्णिमा हो रहे साथ
ग्रहण को लेकर सूतक काल शुरूते ही जहां अधिकांश मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए थे जो कि समाप्ति के तुरंत बाद खोल दिए गए हैं। केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसा तमाम धामों के मंदिरों की घंटियां बज चुकी हैं और कपाट खोल दिए गए हैं।
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इस साल के अंतिम चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद धर्म नगरी काशी में आस्था का जनसलाब देखने को मिला है। श्रद्धालुओं ने पूरी रात ग्रहण काल में गंगा नदी के तट पर बैठकर भजन कीर्तन करते रहे। बुधवार की सुबह करीब 4.30 बजे पर ग्रहण खत्म होने के बाद मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बने। इसी के साथ दोपहर में सूतक काल के दौरान बंद हुए मंदिरों के कपाट भी करीब 13 से 14 घंटे बाद भक्तों के लिए खोले गए और मंदिरों में साफ सफाई के बाद दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया है।
मंगलवार की शाम 4 बजर 30 मिनट पर चंद्रग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 4:20 पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद कर दिए गए थे। सूतक खत्म होने के बाद आज सुबह मंगला आरती के बाद इन मंदिरों के कपाट खोले गए हैं।
चंद्र ग्रहण के मद्देनजर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में संपन्न होने वाली आरतियों, मंदिर के बंद होने व खुलने का समय बदला गया है। मंदिर के मुख्य पुजारी के मुताबिक सूतक काल शुरू होने के बाद मंदिर में होने वाली शाम की सप्तर्षि आरती और श्रृंगार भोग आरती, शयन आरती अपने निर्धारित समय पर होगी। हालांकि, 17 जुलाई की भोर में मंगला आरती दो घंटे विलंब से प्रात: 4 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ होकर 5 बजक 45 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद ही मंदिर का कपाट सामान्य दर्शनार्थियों के लिए खोला जाएगा। संकटमोचन मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, कालभैरव मंदिर, महामृत्युंजय समेत अन्य मंदिरों के पट भी सावन के पहले दिन आरती के बाद देर से खुलेंगे।
चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद पूजा स्थान की साफ सफाई करें। फिर पूजा स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने गुरु या शिव जी की उपासना करें। फिर किसी निर्धन व्यक्ति को सफेद वस्तु का दान करें।
ज्योतिष शास्त्रियों का कहना है कि चंद्र ग्रहण का प्रभाव सूतक खत्म होने के 108 दिनों तक रहता है। लेकिन जो लोग चंद्र ग्रहण के दौरान जाप किया करते हैं तो वे इसके प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।
चंद्रग्रहण के दौरान अगर आपके घर में यदि कोई लंबे समय से बीमार है तो सूतक के बाद घी और खीर से हवन करने पर सेहत सुधार हो सकती है।
देश और दुनिया के तमाम हिस्सों में एक तिहाई चांद दिख रहा है। चंद्रग्रहण के चलते चांद की खूबसूरती फीकी पड़ गई है।
चांद की ताजा तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। यह चंद्रग्रहण 2 घंटे के लिए होगा। वाराणसी, हरिद्वार और दिल्ली में चांद की तस्वीरें अपने मोबाइल में कैप्चर करने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हुई है।
भले ही चांद को दीदार करना बहुत ही सुखद है लेकिन चंद्रग्रहण के दौरान कुंवारे लड़के और लड़कियों को चांद देखने के लिए अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर वे इस देखते हैं तो उनका विवाह में अड़चनें आती हैं। क्योंकि सुंदरता का प्रतीक चंद्रमा श्रापितहोता है और जो भी कुंवारा लड़का या लड़की उसे देखता है तो उसकी शादी या तो रूक जाती है।
वाहन दुर्घटना से बचें धनु राशि के जातक। नौकरी में दिक्कतें आ सकती हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ और पिता की सेहत का ध्यान रखने की जरूरत है। मकर राशि में फायदा और हानि दोनों हो सकती है। विदेश यात्रा के दौरान आप घायल हो सकते हैं। आंखों की समस्या हो सकती है। कुंभ राशि वालों के लाभ और हानि दोनों होने के आसार है।
कन्या राशि वाले जातकों को अपने पेरेंट्स ध्यान रखने की जरूरत है। इस दौरान राम की अराधना करें। 15 अगस्त तक कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय न लें और ग्रहण के बाद अन्न का दान करें। तुला राशि वालों में थोड़ा सा कष्ट और थोड़ा लाभ होगा। दुर्गा कवच का पाठ करें और जीवनसाथी के साथ संबंध में धन खर्च करें। ग्रहण के बाद काली वस्तुएं दान करें। वृश्चिक राशि वालों को सेहत का ध्यान रखना होगा। हनुमान चालीसा का पाठ करें इस राशि का जातक। रिश्तों और व्यापार की हानि भी हो सकती है।
नए प्रेम संबंधों में न पड़ें मिथुन राशि। कर्क राशि के स्वामी चंद्र हैं इसलिए पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। क्रोध को नियंत्रण में लाएं और ग्रहण के बाद काली वस्तुओं को दान न करें। प्रेम विवाह मामलों से समस्याएं बड़ सकती है। करिअर में बदलाव हो सकते हैं।
ग्रहण के दौरान सभी लोगों को शिवजी की उपासना करनी चाहिए। मेष राशि वालों को स्वास्थ रखना होगा और मनोस्थिति का भी। चंद्रग्रहण से लेकर अगले तीन हफ्तों तक मेष राशि के जातकों को अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा। संपत्ति की समस्या हो सकती है। वृष राशि वाले अपने पेरेंट्स की सेहत का ध्यान रखें और ग्रहणकाल में श्रीकृष्ण की उपासना करें। करिअर में बदलाव के योग हैं। ग्रहण के बाद पीले रंग के फल का दान करें
ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद गर्भवती महिला को जरूर नहा लेना चाहिए वरना उसके शिशु को त्वचा संबधी रोग लग सकते हैं। हालांकि किसी भी इसे देखने के लिए चश्मा लगाने की जरूरत नहीं है।
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं अपने पास एक नारियल रखें ताकि उन पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव ना पड़े। ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को तुलसी का पत्ता अपनी जीभ पर रखकर हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना शुभ बताया गया है।
ग्रहण के बाद घर की अच्छी तरह सफाई भी आवश्यक बताई गई है। इसलिए ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ये जानना आपके लिए जरूरी है। सूतक के बाद सुबह स्नान करें और धुले हुए कपड़े ही पहनें। ग्रहण के वक्त पहने कपड़ों को किसी गरीब को दान दे देना चाहिए और स्नान करने के बाद ही पूजा घर में प्रवेश करें। अगर आपके घर के पास कोई मंदिर है तो वहां पर जाकर पूजा पाठ करें।
2019 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लाल नजर आ सकता है। बता दें कि चांद जब हल्का लाल रंग का दिखता है, तब उसे 'ब्लड मून' (Blood Moon) कहते हैं। खगोलशास्त्रियों के मुताबिक, यह पूरा चंद्र ग्रहण नहीं है, पर हमें चांद के रंग में फेरबदल दिख सकता है। दरअसल, फुल बक मून का 65% पृथ्वी के अंब्र में प्रवेश करेगा। चंद्रमा के रंग की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल की स्थिति इस पर असर डालती है।
खगोलीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, सुबह 4:30 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा। इस बार यह चंद्र ग्रहण ढाई घंटे रहेगा।
इस चंद्र ग्रहण की खास बात यह है कि आज ग्रहों की स्थिति ऐसी रहने वाली है जैसी कि आज से ठीक 149 साल पहले की थी। सन् 1870 में भी गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ था साथ ही शनि और केतु, चंद्रमा के साथ धनु राशि में बैठे हुए थे और सूर्य और राहु मिथुन राशि में थे।
साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 16 जुलाई, 2019 की रात को 1:31 बजे शुरू होगा।