पिछले महीने ही दो ग्रहण देखने को मिले थे और दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई दिए। लेकिन 5 जुलाई यानी आज लगने वाला उपच्छाया चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया। भारतीय समयानुसार ये ग्रहण सुबह के समय लगा जिस वजह से इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और न ही इसका सूतक काल मान्य था। लेकिन ज्योतिष अनुसार सभी राशियों पर इसका कुछ न कुछ असर जरूर पड़ेगा। जानिए चंद्र ग्रहण से संबंधित पूरी डिटेल यहां…
किन देशों में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण? यह ग्रहण यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक और अंटार्कटिका में दिखाई दिया। भारत के लोग इस ग्रहण को ऑनलाइन ही देख पाए क्योंकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव: चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा असर मिथुन राशि और धनु राशि के जातकों पर देखने को मिलेगा। मिथुन राशि में ही चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस दौरान इन दो राशि के लोगों को मानसिक तनाव होगा। इसके अलावा वृश्चिक, कन्या और सिंह राशि के जातक इस ग्रहण से अधिक प्रभावित होंगे।
चंद्रग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपच्छाया ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है। उपच्छाया ग्रहण को वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता है।
ग्रहण सामान्य खगोलीय घटना है। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आता है तो 'सूर्य ग्रहण'लगता है। वहीं सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आने पर 'चंद्र ग्रहण' लगता है। ध्यान रहे सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है।
बता दें, आप चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देख सकते हैं और इससे आपकी आंखों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. हालांकि, कई लोग लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए भी चंद्र ग्रहण को देखना पसंद करते हैं. भले ही भारत में चंद्र ग्रहण दिन होने की वजह से न देखा जा सकता हो लेकिन आप चाहें तो लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए अभी भी इसे देख सकते हैं.
इस चंद्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है, इस ग्रहण में चंद्रमा पूरे आकार में नजर आएगा. अमूमन ग्रहण में चंद्रमा कटा हुआ दिखाई देता है लेकिन इस बार ग्रहण में चांद कटा हुआ नहीं दिखेगा
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पीड़ित हो जाता है. राहु और केतु चंद्रमा को जकड़ लेते हैं. चंद्रमा इनसे बचने का प्रयास करता है. ग्रहण के समय राहु और केतु बलशाली होते हैं. ऐसे जिन लोगों की जन्म कुंडली में राहु और केतु मजबूत स्थिति में होते हैं. उनके मन में नकारात्मक विचार आते हैं. हिंसा करने की इच्छा आती है. बार बार क्रोध आता है. वाणी भी खराब होती है. इस स्थिति और अशुभता से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
चंद्र ग्रहण आरंभ हो चुका है. 5 जुलाई के बाद अब अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा. साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी लगा था. इसके बाद दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगा था. आज जो चंद्र ग्रहण लग रहा है वो साल का तीसरा चंद्रग्रहण है. अब चौथा ग्रहण जो साल का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा वह 30 नवंबर को लगेगा.
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देख सकते हैं. उपछाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता. हालांकि, उपछाया चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई भी नहीं देगा. चंद्र ग्रहण को देखने के लिए टेलिस्कोप की आवश्यकता होगी.
भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्र ग्रहण को देखने में विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं होती है। चंद्र ग्रहण को आप नंगी आंखों से देख सकते हैं। सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है।
चंद्र ग्रहण को टेलिस्कोप की मदद से देख सकते है. चंद्र ग्रहण को http://www.virtualtelescope.eu पर वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से देखा जा सकता है. इसके अलावा यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर भी चंद्र ग्रहण लाइव देख सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व होता है। आज लगने वाला चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन लग रहा है। यह संयोग लगातार तीसरे साल बन रहा है जिसमें गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण धनु राशि में और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में होगा। ग्रहण का साया धनु राशि में होने से इस राशि के जातकों पर कुछ प्रभाव देखने को मिल सकता है।
5 जुलाई रविवार को लगने वाला ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक और अंटार्टिका में दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण की शुरुआत सुबह के 8 बजकर 38 मिनट से हो चुकी है। 9 बजकर 59 मिनट पर ग्रहण अपने चरम पर होगा। फिर 11 बजकर 21 मिनट पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा।
चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। लेकिन इस खगोलीय घटना में दिलचस्पी रखने वाले ग्रहण का नजारा ऑनलाइन जरूर देख पाएंगे।
1. ग्रहण के दौरान कोई शुभ कार्य न करें.
2. ग्रहण के दौरान भगवान को याद करते हुए मंत्रों का करें जाप.
3. ग्रहण के बाद स्नान करें. उसके बाद पूरे घर में गंगा जल का करें छिड़काव.
4. ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का नुकीला अपने पास न रखें.
5. गर्भवती महिलायें घर से बाहर न निकलें.
चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगने जा रहा है. इसलिए धनु राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. चंद्रमा की अशुभता से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करें. ग्रहण के समय घर से बाहर न निकलें. इस दौरान भोजन करने से भी बचें. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें. इस दिन क्रोध करने से बचें. वाणी को खराब न करें. मांस मदिरा का सेवन भी न करें. मन में अच्छे विचार लाएं.
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूरज और चांद के बीच में आ जाती है लेकिन ये तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। इस स्थिति में चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र ही पड़ती है। जिससे चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। अत: चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है।
चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है। आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है। ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन चंद्र ग्रहण को आप पॉपुलर यूट्यूब चैनल्स के जरिए देख सकते हैं। इनमें लाइवस्ट्रीम करने वाले फेमस होस्ट Slooh और Virtual Telescope भी शामिल हैं। Virtual Telescope Project 2.0 को ग्रहण के लाइव वेबकास्ट के लिए जाना जाता है।
- ग्रहण के समय तेल लगाना, खान-पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि चीजों को करने की मनाही होती है।
- ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने सालों तक उसे नरक में वास करना पड़ता है।
- ग्रहण के दौरान सोने की भी मनाही होती है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति रोगी होता है।
- ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल तोड़ने की भी मनाही होती है।
- चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से दूर रहना चाहिए क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है, जो बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय सिलाई, कढ़ाई, कैंची या चाकू से कुछ भी काटने से बचना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गायों को घास, पक्षियों को अन्न और जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है.
उपछाया चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिस वजह से इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने से पहले की वो अवधि होती है जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते।
पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। उपच्छाया चंद्र तब होता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र ही पड़ती है। इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। अत: चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है। कोई भी चन्द्रग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है जिसे उपच्छाया कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया यानी भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की भूभा में जाए बिना ही उसकी उपच्छाया से ही बाहर निकल कर आ जाता है। इसलिए उपच्छाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं।