Chandra Grahan 2023 Pregnancy: साल का पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल माह में लग चुका है। वहीं, चंद्र ग्रहण 5 मई को लगने वाला है। माना जाता है कि ग्रहण के समय बच्चे, बुजुर्ग के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को अपना ध्यान रखना चाहिए। चंद्र ग्रहण के खगोलीय घटना मानी जाती है। वैज्ञानिक दृष्टि से बात करे, तो चंद्र ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है। वहीं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु केतु के कारण चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है और ऐसे समय में चंद्रमा पर संकट की घड़ी होती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को खुद का अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। जानिए चंद्र ग्रहण के समय महिलाएं किन कामों को करने से बचें।
चंद्रग्रहण का समय
भारतीय समय के अनुसार, चंद्र ग्रहण रात 8 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा और मध्यरात्रि के बाद 1 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा।
गर्भवती महिलाओं पर चंद्र ग्रहण का असर पड़ेगा कि नहीं?
प्रसिद्ध पंडित गुरु जगन्नाथ गुरु जी के अनुसार, साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं लग रहा है। ऐसे में सूतक काल मान्य होगा बता दें कि चंद्र ग्रहण शुरू होने के 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। लेकिन भारत में ग्रहण न होने के कारण गर्भवती महिलाओं पर इसका बुरा असर नहीं पड़ेगा। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। चंद्र ग्रहण रात के समय पड़ रहा है। ऐसे में महिलाएं आराम कर सकती हैं।
चंद्र ग्रहण 2023: गर्भवती महिलाएं ध्यान रखें ये बातें
- शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर में ही रहना चाहिए। इसलिए चंद्र ग्रहण के समय बाहर न जाएं, क्योंकि चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव मां के साथ-साथ बच्चे पर भी पड़ता है।
- गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा न देखें। ऐसा करने से बचना चाहिए, इससे आंखों के साथ-साथ सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
- शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के दुष्प्रभाव के कारण भोजन दूषित हो जाता है। ऐसे में आप खाने के बजाय फलों को धोकर खा सकते हैं।
- गर्भवती महिलाएं ग्रहण के समय नुकीली चीजें सुई, कैंची, चाकू आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे होने वाले बच्चे के शारीरिक समस्याओं पर बुरा असर पड़ सकता है।
- ग्रहण समाप्त होने के बाद गर्भवती महिला को पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। इससे मां के साथ होने वाले शिशु के ऊपर से ग्रहण का दोष समाप्त हो जाता है।