Chandra Dev Ki Aarti Lyrics In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है, जो गणपति बप्पा को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी विघ्न और कष्ट दूर करते हैं। जब यह तिथि मार्गशीर्ष माह में आती है, तो इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश के ‘गणाधिप’ स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज यानी 8 नवंबर 2025 दिन शनिवार को रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भक्त सच्चे मन से बप्पा की आराधना करते हैं, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का वास होता है। वहीं, इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद उनकी आरती जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन से संकटों का नाश होता है।
चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
दीन दयाल दयानिधि, भव बंधन हारी।।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, संत करें सेवा।।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।।
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