जीवन में सुख के साथ कई बार दुख के दिन भी देखने पड़ते हैं। इसलिए इंसान को हर मुश्किल घड़ी के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। संकट की घड़ी में घबराने की बजाय जरूरत होती है धैर्य से काम लेने की। चाणक्य नीति भी कहती हैं कि खराब समय में इंसान को हताश और निराश होने की बजाय हर काम को सोच समझकर करना चाहिए। बुरे समय में धैर्य से काम लेना ही सबसे उत्तम माना गया है। जानिए और क्या कहती हैं चाणक्य की नीतियां परेशानियों से निपटने के लिए….

चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को आवेश में आकर कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसे में गलती होने के ज्यादा आसार रहते हैं। संकट की स्थिति में धैर्य रखते हुए गंभीरता से सभी पहलुओं की पड़ताल करके ही कोई कदम उठाना चाहिए।

चाणक्य नीति अनुसार धन का संचय बेहद ही जरूरी है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने बुरे समय के लिए पैसा बचाकर रखना चाहिए। इससे आप हर संकट का सामना अच्छे से कर सकते हैं। बुरे समय में धन ही सबसे बड़ा मददगार बन सकता है। अगर धन नहीं होगा तो परेशानियां और भी अधिक बढ़ जाएंगी।

चाणक्य कहते हैं कि बुरे स्वभाव वाले मित्रों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करना चाहिए। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि कभी भी अच्छे मित्रों पर भी पूरा भरोसा करके अपने राज की शेयर न करें। क्योंकि भविष्य में अच्छे मित्र से विवाद हो गया तो वह हमारे सभी राज उजागर कर सकता है। जिससे हमारे कष्ट और अधिक बढ़ने के आसार रहते हैं।

ध्यान दें कि जो मित्र हमारे सामने मीठी बातें करते हैं और पीठ पीछे हमारी बुराई करते हैं उनसे मित्रता नहीं रखनी चाहिए। ऐसे लोगों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। इस तरह के लोग उस घड़े के समान होते हैं, जिनके मुख पर तो दूध दिखाई देता है, लेकिन अंदर विष भरा होता है। इनका साथ हमारे लिए हर घड़ी नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे दोस्त मुश्किल की घड़ी में हमारी मुसीबतों को बढ़ाने का काम करते हैं।