Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से व्यक्ति को सफल बनने से लेकर समाज में मान-सम्मान तक पाने के कई बातें बताई है। आचार्य चाणक्य एक सभ्य समाज बनना चाहते हैं। इसी क्रम में उन्होंने अपनी नीतियों में काफी कुछ लिखा है। भागदौड़ भरी जिदंगी में उनके कई विचार हम जरूर अनदेखा कर दें। लेकिन अगर उन्हें ध्यान रखा जाए, तो जरूर आपको हर कसौटी में खरे उतारेंगे। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने बताया है कि व्यक्ति को कभी धन को लेकर अभिमान नहीं करना चाहिए।
श्लोक
न चासन्नमपि पश्चत्यैश्वर्यान्ध:न शृणोतीष्टम्।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम में बताया है कि व्यक्ति को कभी भी धन के नशे में अंधा नहीं होना चाहिए। इससे व्यक्ति का ही नाश हो जाता है। व्यक्ति के पास धन होना और धन के कारण अभिमान होने में काफी अंतर होता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी धन को लेकर अभिमान नहीं करना चाहिए। व्यक्ति धन को लेकर इतना ज्यादा अंधा हो जाता है कि वह सही और गलत का फैसला लेने में असमर्थ हो जाता है। उसे किसी के हित-अहित का बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से कहा है कि व्यक्ति चाहे जितना अमीर, धनवान हो जाए, लेकिन उसे हमेशा जमीन से जुड़ा रहना चाहिए। लेकिन आज के समय में लोगों के पास थोड़ा सा पैसा आता है कि वह उड़ने लगते हैं। वह सोचने लगते हैं कि अब उनके पास पैसा है, तो हर एक चीज को खरीद सकते हैं। इसी भ्रम के कारण वह दूसरों को नीचा दिखाने लगते हैं। उनके सामने हर एक व्यक्ति छोटा हो जाता है और किसी न किसी तरह उसका अपमान करते रहते हैं। ऐसे में पैसों का अभिमान रखने वाला व्यक्ति अपना मान-सम्मान खो देता है और हर किसी की नजरों में गिर जाता है। इसलिए कभी भी व्यक्ति को पैसों का अभिमान नहीं करना चाहिए। उसे हमेशा इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि उसने सि से खून पसीना बहाकर जमीन से आसमान तक की बुलंदी को छुआ है। इसलिए हमेशा पैसों का अभिमान न दिखाकर सभी का सम्मान करना चाहिए।