Budh Pradosh Vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन मां पार्वती और भोलेनाथ की आराधना का विधान है। मान्यता के अनुसार, इस दिन लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। उनको भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहती है। वहीं आपको बता दें कि इस साल ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत 19 जून को रखा जाएगा। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 19 जून को सुबह 07 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का अंत अगले दिन 20 जून को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा। वहीं प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय करने का विधान है। इसलिए बुध प्रदोष व्रत 19 जून को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा का विधान होता है।
ये होनी चाहिए सामग्री
शिव पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत की पूजा के लिए पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर और शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री होनी चाहिए।
जानिए पूजा- विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और फिर साफ सुथरे कपड़े धारण करें। हो सके तो पीले या सफेद कपड़े पहने। वहीं इसके बाद शिवालय में जाकर भगवान शिव का दूध, दही और मंचामृत से अभिषेक करें। उसके बाद भगवान शिव को पीले या सफेद चंदन से टीका लगाएं। साथ ही भगवान शिव को धतूरा, भांग और बेलपत्र भी अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, आरती करें। फिर भगवान का प्रसाद वितरण करें। इस दिन मां पार्वती का भी ध्यान करें।
बुध प्रदोष व्रत महत्व
इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही राहु और केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। वहीं इस व्रत को रखने से जन्म कुंडली में बुध की स्थिति भी मजबूत होती है।