हिंदू पंचांग के अनुसार,हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। ऐसे ही भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को हर तरह के दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।
बुध प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ- 27 सितंबर 2023 को सुबह 1 बजकर 45 मिनट से शुरू
भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि- रात 10 बजकर 18 मिनट पर समाप्त
पूजा का शुभ मुहूर्त- 27 सितंबर 2023 को शाम 6 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 36 मिनट तक
बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद शिव का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शिव-पार्वती की विधिवत पूजा कर लें। इसके बाद दिनभर व्रत रखें। शाम को प्रदोष काल के समय शिव पार्वती की विधिवत पूजा करे। फूल माला, इत्र, बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, शमी पत्र चढ़ाने के साथ सफेद चंदन लगाएं। इसके साथ ही भोग में फल और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाने के साथ धूप जलाकर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। फिर शिव-पार्वती सहित सभी देवी-देवताओं की आरती करें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
बुध प्रदोष व्रत 2023 महत्व
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि , धन-संपदा की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे भाग्यशाली माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन शिव जी हर मनोकामना को भी पूर्ण कर देते हैं।
शिव मंत्र
- ॐ शिवाय नम:
- ॐ सर्वात्मने नम:
- ॐ त्रिनेत्राय नम:
- ॐ हराय नम:
- ॐ इन्द्रमुखाय नम:
- ॐ श्रीकंठाय नम:
- ॐ वामदेवाय नम:
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