Bhartrihari Caves Ujjain: आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उज्जैन का दौरा करने जा रहे हैं। वह महाकाल का आशीर्वाद लेने के साथ ए और जगह जाने वाला हैं जिसे भृतहरि गुफा के नाम से जानते हैं। बता दें कि राजा भृतहरि का गोरखनाथ से गहरा संबंध है। इसी के साथ योगी जी इस गुफा के प्रबंधक भी है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर भृतहरि गुफा में ऐसा क्या खास है। बता दें कि बाबा गोरखनाथ के कारण ही राजा भृतहरि अपना राजपाट छोड़कर सन्यास ले लिया था और योगी बनकर अपना जीवन व्यापन किया था। इसके साथ ही उज्जैन में स्थित इस गुफा में भृतहरि से कठोर तपस्या की थी। आइए जानते हैं भृतहरि गुफा के बारे में रोचक बातें।
पत्नी के धोखे ने बनाया राजा भृतहरि को योगी
उज्जैन के महाराजा भर्तृहरि के संत बनने के पीछे कई तरह की कहानियां मौजूद है। एक कथा के अनुसार, उज्जैन में एक राजा थे महाराजा गंधर्वसेन थे और उनकी दो पत्नियां थीं। एक पत्नी से उन्हें पुत्र विक्रमादित्य और दूसरी पत्नी के पुत्र भर्तृहरि थे। गंधर्वसेन के बाद उज्जैन का राजपाट भर्तृहरि को मिला, क्योंकि वह बड़े थे। राजा भृतहरि की 2 पत्नियां थीं। लेकिन उन्होंने तीसरा विवाह किया और उनकी पत्नी का नाम था पिंगला। कहा जाता है कि पिंगला बहुत सुंदर थीं और उनकी सुंदरता को देखकर भृतहरि राजपूत के कामों को भी अनदेखा कर देते थे और अपनी पत्नी को रिझाने की हर कोशिश करते रहते थे। कहा जाता है कि पत्नी पिंगला कोतवाल से प्यार करती थी। एक बार की बात है कि उज्जैन में उस समय एक तपस्वी गुरु गोरखनाथ आएं। जब वह दरबार पहुंचे, तो भृतहरि से उनका खूब अच्छी तरह से आदर-सत्कार किया। ये देखकर गोरखनाथ अति प्रसन्न हो गए हैं और राजा को उन्होंने एक फल दिया। इसके साथ ही इस फल को खाने से वह सदैव जवान बने रहेंगे। इस फल को राजा ने फल पिंगला को दिया। लेकिन पिंगला से वह फल खुद नहीं खाया बल्कि अपने प्रेमी कोतवाल को दे दिया।
कोतवाल से अपनी प्रेमिका वैश्या को दे दिया चमत्कारी फल
कोतवाल एक वैश्या से प्रेम करता था और उसने चमत्कारी फल उसे दे दिया। ताकि वैश्या सदैव जवान और सुंदर बनी रहे। ऐसे में वैश्या ने फल लेने के बाद सोचा कि अगर वह यह फल खा लेगी, तो हमेशा जवान और सुंदर रहेगी। ऐसे में उन्हें ये गंदा काम हमेशा ही करना होगा। ऐसे में उन्होंने सोचा कि इस फल की सबसे ज्यादा जरूरत राजा भृतहरि को है, जिससे वह हमेशा जवान और सुंदर बने रहें और अपनी प्रजा का हमेशा ख्याल रखें।
राजा भृतहरि को ऐसे पता चला पत्नी पिंगला की बेवफाई
यह सोचकर वैश्या ने चमत्कारी फल राजा को दे दिया। जैसे ही राजा ने उस फल को देखा, तो वह अचंभित हो गए। तब राजा ने वैश्या से पूछा कि यह फल उसे कहा से प्राप्त हुआ। वैश्या ने बताया कि यह फल उसे कोतवाल ने दिया है। भृतहरि ने कोतवाल को बुलवा लिया। कोतवाल ने बताया कि यह फल उसे रानी पिंगला ने दिया है। इसके बाद राजा को पूरी सच्चाई के बारे में पता चला। वह समझ गए कि उनकी तीसरी पत्नी पिंगला उन्हें धोखा दे रही थी। पत्नी के इस धोखे से भृतहरि के मन में वैराग्य जाग गया और वे अपना संपूर्ण राज्य अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को सौंपकर उज्जैन की एक गुफा में आ गए और यहीं पर करीब 12 सालों तक उन्होंने तपस्या की थी।
भृतहरि ने इंद्र भी हो गए थे भयभीत
राजा भृतहरि की 12 वर्षों की कठोर तपस्या दो देखकर देवराज इंद्र भी भयभीत हो गए। इंद्र ने सोचा की भृतहरि वरदान पाकर स्वर्ग पर आक्रमण करेंगे। इस कारण उन्होंने उनकी तपस्या भंग करने के लिए भृतहरि पर एक विशाल पत्थर गिरा दिया। तपस्या में बैठे भृतहरि ने उस पत्थर को एक हाथ से रोक लिया और तपस्या में बैठे रहे। इसी के कारण गुफा में भृतहरि के पंजे के निशान आज भी मौजूद है, जो उनकी प्रतिमा के ऊपर वाले पत्थर पर दिखाई देता है।
एक गुफा से मिलता है चारों धाम का रास्ता
उज्जैन में भृतहरि की गुफा स्थित है। इसी गुफा में भृतहरि ने तपस्या की थी। गुफा के अंदर जाने का रास्ता काफी छोटा है। गुफा की शुरुआत में ही एक गुफा छोटी है। यह गोपीचन्द की मानी जाती है, जो राजा भृतहरि का भतीजा था। इसके साथ ही गुफा के अंत में राजा भर्तृहरि की प्रतिमा है। इसके अलावा इस गुफा में एक और गुफा का रास्ता है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां से चारों धामों का रास्ता है। गुफा में भर्तृहरि की प्रतिमा के सामने एक धुनी भी है, जिसकी राख हमेशा गर्म ही रहती है।