भाई दूज पर बहनें अपने भाईयों को टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। इस दिन भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं। भैय्या दूज को भाऊ दूज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया नाम से भी जाना जाता है। ये त्योहार दिवाली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है।
भाई दूज शुभ मुहूर्त : 01:12 पी एम से 03:26 पी एम
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 29, 2019 को 06:13 ए एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – अक्टूबर 30, 2019 को 03:48 ए एम बजे
भाई दूज का महत्व : भाई दूज वाले दिन जो बहन अपने भाई को टीका लगाती है उसके भाई को यमदोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। क्योंकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को ही मृत्यु देवता यमराज ने अपनी बहन यमी यानी यमुना के घर जाकर भोजन किया था और उन्हें वरदान स्वरूप इस दिन हमेशा आने का वादा किया और यमुना जी ने कहा कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।
भाई दूज पूजन सामग्री :
– आरती की थाली
– टीका, चावल
– नारियल, गोला (सूखा नारियल) और मिठाई
– ज्योत और धूप
– सिर ढंकने के लिये रुमाल या छोटा तोलिया
– कलावा
भाई दूज पूजा विधि :
– भाई दूज वाले दिन सुबह स्नानादि कर भाई बहन तैयार हो जाएं।
– अब एक थाली में रोली, चावल, घी का दीपक, मिठाई और कलावा रख लें।
– भगवान विष्णु और गणेश जी की सबसे पहले पूजा करें।
– चावल के आटे से चौक तैयार करके भाई को बिठाएं।
– भाई के हाथों पर चावल का घोल बनाकर उस पर सिंदूर लगाएं। फूल, सुपारी, कुछ पैसे भाई के हाथों पर रख कर अब धीरे धीरे उस पर पानी छोड़ें।
– अब भाई के हाथ पर तिलक लगाएं। और उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए इस मंत्र को पढ़ें
‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’
– भाई बहन को उपहार दें और अगर संभव हो तो भाई-बहन दोनों यमुना में स्नान करें।
सबसे पहले अगर बहन शादीशुदा है तो उन्हें अपनी भाई को भाई दूज के दिन भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। भाई दूज के दिन सबसे पहले बहनों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। उसके बाद स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए। भगवान गणेश की आराधना करने के बाद अपने भाई का रोली और चावलों से तिलक करना चाहिए। तिलक करने के बाद अपने भाई को मिठाई खिलानी चाहिए। इसके बाद अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराना चाहिए। भोजन करने के बाद भाईयों को अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
मान्यतानुसार इस दिन जो यम देव की उपासना करता है, उसे असमय मृत्यु का भय नहीं रहता है भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते है। यम द्वितीया के दिन यमराज की पूजा से पहले यमुना नदी में स्नान किया जाना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के पास गए थे। बहन ने उनका तिलक लगा कर स्वागत किया और प्रेम पूर्वक भोजन कराया था। भाईदूज से जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार एकबार यमलोक स्वामी यमराज अपनी बहन यमुना से लंबे समय बाद भेंट के लिए जाते हैं। यमुना जी भाई यम को अचानक इतने बाद देखकर बहुत प्रसन्न होती हैं और भाई का खूब आदर सत्कार करती हैं। बहन यमुना द्वारा किए गए सेवा-सत्कार से यमराज प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने को कहते हैं।
इस दिन यम के मुंशी भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी प्रचलन है। उनकी पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। कहते हैं कि इसी दिन से चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता।
सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर माँगने को कहा।
ब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे।
सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक लाभ चौघड़िया रहेगा। इस समय पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके बाद 1 बजकर 30 मिनट तक अमृत चौघड़िया में भी त्योहार मनाया जा सकता है। अंतिम शुभ चौघड़िया 2 बजकर 50 मिनट से 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
सुबह 10.41 बजे से 12.05 बजे तक चौघड़िया मुहूर्त है। इस दौरान पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके बाद 1.30 बजे तक अमृत चौघड़िया में भी त्योहार मना सकते हैं। अंतिम शुभ चौघड़िया 2.50 बजे से 4.14 बजे तक है।
भाई दूज पर इस बार तिलक का शुभ मुहूर्त सुबह में नहीं बल्कि दोपहर एक बजकर 11 मिनट से तीन बजकर 23 मिनट तक है। बहनों के लिए इस बार दूज का व्रत थोड़ा कठिन होगा क्योंकि वह भाई को तिलक और आरती के बाद ही कुछ खाती हैं। इससे पहले वह पूजा की थाली सजा लें जिसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री रख लीजिए। तिलक करने से पूर्व बहनों को चावल के मिश्रण से एक चौक बना लेना चाहिए।
मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया की तिथि के दिन सूर्य की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमदेव को घर पर सत्कारपूर्वक बुलाया और भोजन कराया था। इससे वह पाप मुक्त होकर सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए। तभी से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से प्रख्यात हो गई। यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे धन की प्राप्ति होती है।