Pradosh Vrat Vidhi: कल यानी 16 अगस्त रविवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। बता दें कि दिन के अनुसार आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व भी अलग होता है। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। सनातन धर्म के मुताबिक एक साल में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं। आमतौर पर इस व्रत में भगवान शनि की पूजा होती है। लेकिन रवि प्रदोष के दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा का भी विधान है। इसके अलावा, इस सिंह संक्रांति भी मनाई जाएगी। माना जाता है कि रविवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सेहत की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं, सेहत संबंधी उनकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से –
कैसे करें पूजा: सबसे पहले इस दिन सूरज निकलने से पहले जग जाएं और फ्रेश हो जाएं। नहाकर धुले हुए वस्त्र धारण करें। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी जाती है। आप महादेव की पूजा करते वक्त बेलपत्र, दीप, धूप, अक्षत और गंगाजल का इस्तेमाल करें। निराहार रहें और सूर्यास्त के बाद दोबारा स्नान करें। उसके उपरांत सफेद कपड़े पहन लें। पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें। अब गाय के गोबर से मंडप तैयार करें और उसमें 5 अलग रंगों से रंगोली तैयार करें। ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव को जल चढ़ाएं।
व्रत का महत्व: कहा जाता है कि रवि प्रदोष के दिन जो लोग व्रत रखते हैं, उन पर सदा भगवान शिव व सूर्य देव की कृपा रहती है। उनके जीवन में सुख, शांति, यश व संपन्नता की कभी कमी नहीं होती है। ज्योतिषियों के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है उन्हें अवश्य ये व्रत रखना चाहिए। वहीं, मान्यता ऐसी भी है कि इस व्रत को रखने से लोग निरोगी व दीर्घायु होते हैं।
जान लीजिए शुभ मुहूर्त:
दिन व तिथि: 16 अगस्त 2020, रविवार, त्रयोदशी
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
अमृत काल: 17 अगस्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से लेकर 5 बजकर 57 मिनट तक
इस समय लगेगा राहुकाल: 16 अगस्त को राहुकाल का समय होगा दोपहर 4 बजकर 54 मिनट से लेकर साढ़े 6 बजे तक