Bhado Sankashti Chaturthi 2025 Date, Shubh Muhurat and Puja Vidhi: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। वहीं, भाद्रपद माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत बेहद खास माना जाता है। इस माह में आने वाली चतुर्थी को बहुला या हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना और व्रत का विधान है। इस दिन भगवान गणेश के साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जातकों के जीवन से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं बहुला चतुर्थी 2025 की सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र…

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भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अगस्त की सुबह 08 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अगस्त की सुबह 06 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि चतुर्थी का चंद्र दर्शन 12 अगस्त, मंगलवार को होगा, इसलिए12 अगस्त को ही भादो की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, ज्योतिष की मानें तो इस दिन सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है, जिससे पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।

भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी व्रत 2025 पूजा मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 50 मिनट से रात 7 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वहीं, चतुर्थी तिथि की शुरुआत 12 अगस्त की सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर होगी और इसका समापन 13 अगस्त की सुबह 6 बजकर 36 मिनट पर होगा। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में गणपति बप्पा की पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी व्रत 2025 चंद्रोदय का समय

हेरम्ब या बहुला संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय के बाद चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन चन्द्रोदय का समय रात 08 बजकर 59 मिनट पर है।

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भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

  • इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल से पवित्र करें और व्रत का संकल्प लें।
  • उसके बाद एक स्वच्छ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र विराजमान करें।
  • अब गणेश जी को दूर्वा घास, चावल, पुष्प, धूप, दीप, मोदक व लड्डू अर्पित करें।
  • इसके बाद गणपति मंत्रों व स्तोत्र का पाठ करें और आरती करें।
  • पूरे दिन व्रत का पालन करें और रात को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करें।

भाद्रपद में गणेश पूजा का महत्व

भाद्रपद मास को भगवान गणेश का प्रिय माह माना जाता है, क्योंकि इसी माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उनका जन्मोत्सव, गणेश चतुर्थी, बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन से शुरू होकर दस दिनों तक गणेशोत्सव का आयोजन होता है। मान्यता है कि भाद्रपद में गणेश जी की आराधना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी व्रत 2025 पूजा मंत्र

हे हेरंब त्वमेह्योहि ह्माम्बिकात्र्यम्बकात्मज

सिद्धि-बुद्धि पते त्र्यक्ष लक्षलाभ पितु: पित:

नागस्यं नागहारं त्वां गणराजं चतुर्भुजम्

भूषितं स्वायुधौदव्यै: पाशांकुशपरश्र्वधै:

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