Bhadli Navami 2023: शास्त्रों में भड़ली नवमी का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के मुताबिक हर वर्ष यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। वहीं इसे भड़ली नवमी के साथ-साथ भटली नवमी, अशर शुक्ल पक्ष नवमी, कंदर्प नवमी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही भड़ली तिथि एक अबूझ मुहूर्त होता है। मतलब इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, सगाई, जनेऊ आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस बार भड़ली नवमी 27 जून को मनाई जाएगी। वहीं इस दिन रवि योग भी बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं भड़ली नवमी की तिथि और शुभ मुहूर्त…
भड़ली नवमी तिथि (Bhadli Navami 2023 Tithi)
पंचांग के अनुसार भड़ली नवमी तिथि की शुरुआत 27 जून को सुबह 2 बजकर 3 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 28 जून को सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर हो रहा है। इसलिए सूर्यदय के अनुसार भड़ली नवमी 27 जून को ही मनाई जाएगी। वहीं 27 जून को ही गुप्त नवरात्रि का समापन होगा।
भड़ली नवमी शुभ योग (Bhadli Navami 2023 Shubh Yog)
भड़ली नवमी पर अमृतकाल रहेगा। वहीं नक्षत्र चित्रा रहेगा। रवि योग भी बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को विशेष माना गया है। वहीं इस योग में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होगा।
भड़ली नवमी पूजा विधि (Bhadli Navami Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। साथ ही साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। वहीं इसके बाद चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। साथ ही फिर घूप, अगरबत्ती जलाएं और भगवान विष्णु को पीले चंदन का टीका लगाएं। इसके बाद फल और पीली मिठाई अर्पित करें। साथ ही अंत में दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
भड़ली नवमी का महत्व (Importance of Bhadli Navami)
भड़ली नवमी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं। मतलब इस तिथि का महत्व अक्षय तृतीया के समान ही होता है। मान्यता है इस दिन किए गए मांगलिक और धार्मिक कार्यक्रम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है।