Basant Panchami 2024 Saraswati Puja Date, Puja Timings: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। बसंत पंचमी को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही सभी ऋतुओं में से श्रेष्ठ वसंत ऋतु का आरंभ भी होता है। बसंत पंचमी का दिन काफी काफी माना जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि बसंत पंचमी एक अबूझ मुहूर्त है जिसमें किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कामों को करना अच्छा माना जाता है। इस बार की बसंत पंचमी काफी खास है, क्योंकि इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। आइए जानते हैं बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पीले रंग का महत्व।
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बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2024 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जो 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी।
इसके साथ ही सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी पर बन रहे शुभ योग (Basant Panchami 2024 Shubh Yog)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल बसंत पंचमी के दिन रवि योग के साथ रेवती और अश्विनी नक्षत्र लग रहा है। जो काफी शुभ माना जाता है। बता दें कि रवि योग सुबह 10 बजकर 43 मिनट से लेकर 15 फरवरी को सुबह 7 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही रेवती नक्षत्र 13 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा, जो 14 फरवरी को सुबह 10 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद से अश्विनी नक्षत्र लग जाएगा, जो 15 फरवरी को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा।
बसंत पंचमी पूजन विधि (Basant Panchami Pujan Vidhi)
बसंत पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मां सरस्वती की विधिवत पूजा करें। एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद मां सरस्वती को पीले या सफेद रंग के फूल, माला, रोली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले रंग की मिठाई आदि अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां सरस्वती जी वंदना,सरस्वती मंत्र, सरस्वती चालीसा, कथा और अंत में आरती कर लें। आप चाहे तो मां सरस्वती को वाद्य यंत्र, किताबें, पेन आदि भी अर्पित कर सकते हैं।
सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का महत्व
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है। किंदवंती के अनुसार, इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है। माना जाता है कि सूर्य की किरणें इस बात का प्रतिनिधित्व करती हैं कि सूर्य की तरह हर एक व्यक्ति का जीवन गंभीर और भावुक हो जाना चाहिए। इसी के कारण पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इसके अलावा इस दिन से बसंत ऋतु आरंभ हो जाती है।