Ashadha Gupt Navratri 2023: वैदिक पंचांग के अनुसार साल में 4 नवरात्रि पड़ती हैं। जिसमें 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं। आपको बता दें कि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं (मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी) की साधना की जाती है। यह साधना गुप्त रूप से की जाती है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून यानी आज से शुरू हो रही हैं। गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और तंत्र मंत्र के साधक इसमें विशेष रूप से साधना करते हैं। आइए जानते हैं तिथि और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त…
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तिथि 2023 (Ashadh Gupt Navratri 2023 Tithi)
वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 18 जून यानी कल सुबह 10 बजकर 07 बजे से हो चुका है और इस तिथि का अंत 19 जून यानी आज सुबह 11 बजकर 26 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि को आधार मानते हुए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के व्रत 19 जून, सोमवार यानी आज से ही रखे जाएंगे। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का आरंभ आर्द्रा नक्षत्र में हो रहा है। जिससे स्वामी राहु देव हैं और शास्त्रों के अनुसार राहु के नक्षत्र और राहु काल में तंत्र साधना बेहद शुभ फलदायी साबित होती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त: 19 जून, सोमवार को प्रात: काल 05 बजकर 24 मिनट से 07 बजकर 26 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 51 मिनट बजे तक रहेगा
दस महाविद्या की साधना का महत्व
माघ और चैत्र नवरात्र प्रकट नवरात्रि माने जाते हैं। इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की साधना की जाती हैं। साथ ही यह साधना गुप्त रूप से की जाती है। मान्यता है कि अगर कोई साधक अपनी साधना को किसी दूसरे व्यक्ति को बता देता है, तो पूजा का फल नष्ट हो जाता है। वहीं दस महाविघा आदि शक्ति की अवतार मानी जाती हैं और विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठात्री शक्तियां हैं। दुर्गा सप्तशती के अनुसार महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव और उनकी पत्नी सती के बीच विवाद के कारण हुई थीं। वहीं दस महाविद्याओं में दो कुल माने जाते हैं, जो काली कुल तथा श्रीकुल हैं।