Ashadh Month Start Date: हिंदू पंचांग में हर एक मास का विशेष महत्व है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, नए साल की शुरुआत जनवरी से होती है। लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास से होती है, जो मार्च-अप्रैल में पड़ता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चौथा मास आषाढ़ मास होता है जिसका विशेष महत्व होता है। इस मास में भगवान सूर्य के साथ मंगल की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए आषाढ़ मास कब से हो रहा है शुरू और इसका महत्व।

आषाढ़ मास कब से हो रहा है शुरू?

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के साथ आषाढ़ मास आरंभ हो जाएगा। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट से आरंभ होकर 5 जून सुबह 6 बजकर 39 मिनट से है। ऐसे में आषाढ़ मास का आरंभ 5 जून 2023 से हो रहा है। इसके साथ ही समापन गुरु पूर्णिमा को 3 जुलाई 2023 को समाप्त हो जाएगा।

आषाढ़ मास का महत्व

हिंदू धर्म में आषाढ़ मास विशेष माना जाता है। इस मास में भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलने के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ मंत्रों का जाप करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।

चार्तुमास 2023 होता है आरंभ

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास से ही चातुर्मास आरंभ हो जाता है, जो शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है। इस साल अधिक मास होने के कारण चार्तुमास पूरे 5 माह को होगा। ऐसे में किसी भी मांगलिक और शुभ काम को करने की मनाही होती है। इस दौरान सिर्फ तप, तप और ध्यान करना शुभ माना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, चातुर्मास 29 जून, गुरुवार को देवशयनी एकादशी के साथ आरंभ हो रहा है और समापन 23 नवंबर, गुरुवार को देवुत्थान एकादशी के दिन समाप्त हो जाएगा। ज्योतिषों के अनुसार, ऐसा संयोग करीब 19 साल बाद बन रहा है जब अधिक मास 5 माह का हो रहा है। ऐसा संयोग पहले 1947, 1966, 1985 और 2004 में बना था।