Amla Navami 2023: अक्षय नवमी का शास्त्रों में विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को आंवला नवमी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवला के वृक्ष में निवास करते हैं इसलिए आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे जीवन में धन- समृद्धि का वास रहता है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस साल अक्षय नवमी का पर्व 21 नवंबर को मनाई जाएगी। साथ ही इस दिन हर्षण और रवि योग भी बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व…
आंवला नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 21 नवंबर सुबह 3 बजकर 15 मिनट से शुरू हो रही है और उसका समापन 22 नवंबर रात 1 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में उदयातिथि को आधार मानते हुए आंवला नवमी तिथि का पर्व 21 नवंबर को मनाया जाएगा।
आंवला नवमी पूजा शुभ मुहूर्त : सुबह 6 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक
आंवला नवमी शुभ योग
अक्षय नवमी के दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिससे इस दिन का महत्व भी काफी बढ़ गया है। आपको बता दें कि आंवला नवमी के दिन शाम 8 बजकर 2 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 48 मिनट तक रवि योग रहेगा। साथ ही इस दिन हर्षण योग भी बन रहा है। इन योगों को ज्योतिष में विशेष माना जाता है।
आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा- अर्चना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इसका नाम अक्षय नवमी है। मतलब जो पुण्य कभी नष्ट न हो। साथ ही इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा-अर्चना, भक्ति, सेवा आदि की जाती हैं, उसका पुण्य कई जन्म तक मिलता है। मान्यता है कि इस दिन ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था और इस दिन से ही भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं को त्यागकर मथुरा चले गए थे। वहीं इस दिन कद्दू व सोने का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।