आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर नंद वश का अंत करके मौर्य वंश की स्थापना की थी। नंद वंश के राजा ने आचार्य चाणक्य का अपमान किया था लेकिन उन्होंने अपने क्रोध को कभी जाहिर नहीं होने दिया था। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी इसी गुस्से को अपना हथियार बनाकर अपने शत्रुओं का नाश कर दिया था। तो ऐसी कौन सी नीतियां थी जिसके बल पर आचार्य चाणक्य ने अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त कर ली थी जानते हैं…
– आचार्य चाणक्य के अनुसार शत्रु का सबसे बड़ा हथियार होता है आपको उकसाना। इसलिए शत्रु आपको हमेशा उकसाने की कोशिश करता है जिससे की आपको क्रोध आए। क्योंकि क्रोध में शक्ति और विवेक दोनों आधी हो जाती है और ऐसा होने पर शत्रु आपका फायदा उठा सकता है। इसलिए जब शत्रु आपको गुस्सा दिलाने की कोशिश करें तो कछुए की भांति अपने गुस्से को अपने अंदर समेट लो और उसके बाद उचित समय पर और पूरी तैयारी के साथ वार करो। इसलिए शत्रु के उकसाने में कभी ना आएं लेकिन अपने शत्रु को क्षमा भी ना करें। इससे उसका मनोबल बढ़ सकता है।
– चाणक्य अनुसार बुरे इंसान के साथ आप कितना भी अच्छा आचरण क्यों न कर लें लेकिन फिर भी वह अपना स्वभाव नहीं बदलेगा। सांप का जहर तो उसके दांतों में होता है, बिच्छू का विष पूंछ में लेकिन बुरे और दुष्ट व्यक्ति के तो शरीर के हर हिस्से में जहर होता है इसलिए इस पर भरोसा कभी ना करें। क्योंकि यह कभी आपका दोस्त नहीं बन सकता। इन दुष्ट लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा की एक जहरीले सांप के साथ किया जाता है यानि की उसका फन कुचल देना चाहिए।
– शत्रुओं से कभी घृणा नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से शत्रु के बारे में सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है। आप उसकी सिर्फ कमजोरी देख पाते हैं ताकत नहीं। इसलिए शत्रु को एक दोस्त की तरह देखना चाहिए जिससे की उसकी हर एक बात की जानकारी आपको हो सके। इससे आप उसे आसानी से परास्त कर पाएंगे।
– शत्रुओं को परास्त करने के लिए अपनी कूटनीति में उसे फसाएं यानि उसकी शक्तियों और सहयोगियों को उससे दूर कर दें। और जब दुश्मन अलग-थलग पड़ जाए तब उस पर वार करें।