मिशन 2019 को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार वृद्धावस्था पेंशन योजना में हिंदुत्व का तड़का लगा सकती है। जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के 60 वर्षीय उम्र या उससे अधिक के 10 लाख साधु- संतों को भी वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल कर रही है। सरकार का मानना है कि दूर दराज के गावों में रहने वाले सभी साधु संत भी गरीबी के कारण पेंशन खासकर वृद्धावस्था पेंशन योजना के हकदार हैं। हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने निशाना साधा है।
क्या बोले अखिलेश यादव: अखिलेश ने योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि हमने तो रामलीला के पात्रों को पेंशन देने की स्कीम शुरू की थी। सीएम योगी भी राम और सीता को पेंशन दें और राम सीता से बचे तो रावण को भी पेंशन दें। साधु-संतों को कम से कम 20 हजार रुपए महीने पेंशन मिले और यश भारती और समाजवादी पेंशन भी शुरू हो जाए। वहीं रामायण पाठ और रामलीला वालों को भी पेंशन मिले।
नए प्रधानमंत्री का इंतजार: अखिलेश ने भाजपा विधायक साधना सिंह के मायावती पर हमले के जवाब में कहा कि जो भाषा प्रयोग की गई है वो तो कोई भी किसी के लिए नहीं इस्तेमाल कर सकता है। भाजपा फ्रस्टेट होने की वजह से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रही है। जैसे जैसे चुनाव करीब आएंगे वैसे वैसे ही उनकी भाषा का स्तर गिरता जाएगा। इसके साथ ही अखिलेश ने कहा कि ये पहली बार नहीं है, इससे पहले भी इन महिला विधायक ने समाजवादी पार्टी के लिए ऐसे ही भाषा का इस्तेमाल किया था। वहीं लोकसभा पर अखिलेश ने कहा कि देश को नए प्रधानमंत्री का इंतजार है। नया भारत बनाने का काम नौजवान करेंगे जो सपना देखते हैं, संघर्ष करते हैं। सबसे शानदार युवाओं का संगठन सामाजवादी पार्टी में है।