अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले आप के संस्थापक सदस्यों योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण आज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया और दोनों नेताओं ने इस कदम को ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ बताकर उसकी निंदा की है।
बवाल और नाटकीय घटनाक्रम के बीच दोनों असंतुष्ट नेताओं के साथ साथ उनके समर्थकों आनंद कुमार और अजीत झा को शक्तिशाली पैनल से हटाने के लिए राष्ट्रीय परिषद में प्रस्ताव पारित किया गया। परिषद के 247 सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने बताया कि 10 सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और 54 अन्य से इस मतदान में भाग नहीं लिया।
इस बीच एक अन्य घटनाक्रम में, आप के आंतरिक लोकपाल रामदास को ‘‘विवाद से बचने के लिए’’ बैठक में भाग नहीं लेने को कहा गया जिसकी बागी नेताओं ने निंदा की।
केजरीवाल ने बैठक के दौरान भावुक भाषण दिया और मनीष सिसोदिया की ओर से दोनों नेताओं को हटाने का प्रस्ताव पेश किये जाने से पहले ही आप प्रमुख बैठक स्थल से रवाना हो गए। केजरीवाल की गैर मौजूदगी में दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के बाद यादव और भूषण ने केजरीवाल पर गुंडे लाने समेत अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आरोप लगाया जिन्होंने प्रस्ताव का विरोध करने वाले राष्ट्रीय परिषद के कई सदस्यों को कथित रूप से पीटा।
क्षुब्ध योगेन्द्र यादव ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र की हत्या है। सभी चीजें पूर्वनिर्धारित पठकथा के अनुरूप खेली गई और निर्धारित मानदंडों को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए कुछ ही मिनट में प्रस्ताव पेश किया गया और इसे पारित कर दिया गया। यह पूरी तरह से गलत है।’’
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ‘‘हमें पार्टी से बाहर निकालने’’ के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आए थे और उनका एवं यादव का समर्थन करने वाले एनसी के कई सदस्य घायल हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कल स्टिंग के दौरान केजरीवाल को जो कुछ कहते सुना गया था, उसपर आज की बैठक में पूरी तरह अमल किया गया। सदस्य एवं अन्य में कोई फर्क नहीं किया गया। बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई, कोई गुप्त मतदान नहीं हुआ और न ही मतदान को प्रदर्शित ही किया गया।’’
इस बीच केजरीवाल के वफादार आशुतोष ने यादव पर यह ‘‘झूठ फैलाने’’ का आरोप लगाया कि एनसी के सदस्यों को बैठक में पीटा गया।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘वाईवाई (यादव) झूठ फैला रहे हैं कि बैठक में एनसी के सदस्यों को पीटा गया। किसी प्रकार की हाथापाई नहीं हुई या किसी को पीटा नहीं गया। सहानुभूति पाने के लिए यह कहानी गढ़ी गई है।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘उन्हें एनई से निकालने के प्रस्ताव का केवल दर्जनभर सदस्यों ने विरोध किया और कुछ सदस्य बहिर्गमन कर गए। उन्हें एनई से निकाले जाने के प्रस्ताव को जबरदस्त समर्थन मिला।’’
प्रशांत भूषण ने बैठक में पार्टी के आंतरिक लोकपाल रामदास को आने की अनुमति नहीं देने के पार्टी नेतृत्व के निर्णय पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने कहा, ‘‘लोकपाल को अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई। यह पूरी तरह से पुर्वनियोजित था। उन्होंने आज जो कुछ किया, उसने सभी सीमाओं को पार कर दिया। यह केजरीवाल और उनके चाटुकारों की मानसिकता को दर्शाता है।’’
बैठक से कुछ ही घंटों पहले यादव ने एक पत्र सार्वजनिक किया जो आप के आंतरिक लोकपाल रामदास ने पार्टी नेतृत्व को लिखा था। पूर्व नौसेना प्रमुख ने इस पत्र में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि पार्टी ने ‘‘विवाद से बचने के लिए’’ उन्हें बैठक में शामिल नहीं होने को कहा है।
इस पत्र में रामदास ने उस एसएमएस का हवाला दिया है जो उन्हें आप महासचिव पंकज गुप्ता ने भेजा है। इस एसएमएस में पार्टी ने उन्हें बैठक में भाग नहीं लेने के लिए कहने के कई कारण बताए हैं।
बैठक से पहले यादव करीब 20 मिनट तक परिसर के बाहर धरने पर बैठे। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के उस वर्ग को बैठक में शामिल होने के लिए भीतर आने की अनुमति नहीं दी गई जो अरविंद केजरीवाल खेमे के विरोधी हैं।
दोनों खेमों के ‘आप’ स्वयंसेवक कापसहेड़ा सीमा पर स्थित कैलिस्टा रिसॉर्ट में बड़ी संख्या में एकत्र हुए और एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। केजरीवाल के समर्थक स्वयंसेवकों के एक वर्ग ने भूषण और यादव को बाहर किए जाने के निर्णय को सार्वजनिक किए जाने के बाद खुशियां मनाई।
रिसॉर्ट के चारों ओर पुलिस और आरएएफ के भारी बल तैनात किए गए थे जहां एनसी सदस्यों को काउंटर पर पंजीकरण के बाद भीतर आने की इजाजत दी जा रही थी। पहचान, मोबाइल नंबर और निमंत्रण का एसएमएस नहीं दिखा पाने वाले सदस्यों को भीतर आने की अनुमति नहीं दी गई।