वैदिक शिक्षा के लिए बन रहे देश के पहले बोर्ड का नेतृत्व करने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव का नाम काफी हद तक तय हो चुका है। इस बोर्ड के चयन के लिए बनी 5 सदस्यीय समिति शनिवार को रामदेव के नाम पर सहमति जाहिर की। यह प्रस्ताव भारतीय शिक्षा परिषद महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीपी) के पास भेजा जाएगा। इसके बाद अगले हफ्ते तक रामदेव के नाम पर अंतिम मोहर लग सकती है। बता दें कि भारतीय वैदिक शिक्षा बोर्ड के गठन के लिए एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता वाले एमएसआरवीपी ने प्राइवेट संस्थाओं से आवेदन मांगे थे। इसमें रामदेव सहित तीन लोगों ने अप्लाई किया था।

क्या है भारतीय वैदिक शिक्षा बोर्ड- यह बोर्ड भारत की पारंपरिक विद्या की पढ़ाई कराएगा, जिसमें मुख्य रूप से वैदिक शिक्षा, संस्कृत की शिक्षा, शास्त्र और दर्शन की शिक्षा आदि शामिल है। इसके पाठ्यक्रम में परीक्षा, सर्टिफिकेट देना, गुरुकुल को मान्यता देना और स्कूलों व पाठशालाओं में वैदिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा मुहैया कराना शामिल है। बता दें कि सीबीएसई बोर्ड इसकी संबद्धता के लिए स्कूलों से अतिरिक्त शुल्क और परीक्षा शुल्क लेगा।

रामदेव के अलावा दो और ट्रस्ट थे रेस में- बता दें कि महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्यालय प्रतिष्ठान (एमएसआरवीपी) ने 11 फरवरी को भारतीय शिक्षा बोर्ड (बीएसबी) की स्थापना के लिए आवेदन मांगे थे। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बाबा रामदेव का पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट उन तीन निजी ट्रस्टों में शामिल है जिन्होंने बोर्ड के गठन के लिए आवेदन आमंत्रित करने में रूचि दिखाई थी। पतंजलि के अलावा एमिटी ग्रुप के संचालक रितानंद बालवेड एजुकेशन फाउंडेशन और पुणे स्थित महाराष्ट्र प्रौद्योगिकी संस्थान इसके दूसरे दावेदार थे।

क्या बोले बालकृष्ण- पतंजलि के ट्रस्टी बालकृष्ण ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि शनिवार को चयन समिति के सामने पतंजलि योगपीठ की ओर से प्रस्तुति दी गई है। उन्होंने कहा कि हम वैदिक शिक्षा बोर्ड के गठन को लेकर बेहद गंभीर है। एक छात्र को हमारी भारतीय नैतिकता, संस्कृति और मूल्यों को भी सीखना चाहिए। हम पहले से ही इसी मॉडल पर आचार्यकुलम चला रहे हैं।

पहले खारिज हो चुका था प्रस्ताव- बता दें कि तीन साल पहले स्मृति ईरानी जब एचआरडी मंत्री थीं, तब वैदिक शिक्षा बोर्ड बनाने के रामदेव के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। उस वक्त मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि सरकार एक निजी स्कूल बोर्ड को आखिर कैसे मान्यता देगी। मौजूदा समय में केंद्र सरकार किसी भी निजी बोर्ड को मान्यता नहीं देती है। बताया जा रहा है कि एक बार वैदिक शिक्षा बोर्ड के गठन हो जाने के बाद रामदेव के आवासीय विद्यालय आचार्यकुलम, आरएसएस द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल और आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुल जैसे शैक्षणिक संस्थानों को लाभ होने की संभावना है क्योंकि यह उन्हें बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा के मॉडल को बनाए रखने की अनुमति देगा।