उद्धव ठाकरे की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उद्धव गुट को एक और झटका लगा है। पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने एकनाथ शिंदे गुट का साथ थाम लिया है। वर्ली के शिवसेना कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के घर पर उनके खेमे में शामिल हो गए हैं। उद्धव ठाकरे को एक के बाद एक बड़ झटका मिल रहा है। कुछ दिन पहले ही बाला साहेब के दो करीबियों ने शिंदे गुट का साथ थामा था।

 चंपा सिंह थापा और मोरेश्वर राजे ने तीन दशक तक मतोश्री में अपनी सेवाएं दी थीं। चंपा सिंह थापा को बालासाहेब ठाकरे की छाया कहा जाता था, वह करीब तीन दशक तक बालासाहेब के सहयोगी रहे। ठाकरे की मृत्यु के बाद थापा की मतोश्री से दूरियां बढ़ती चली गईं। वहीं, मोरेश्वर राजे ने भी तीन दशक से ज्यादा समय बालासाहेब के मतोश्री में अपनी सेवाएं दी थीं।

इससे पहले शिवसेना की राज्य इकाई के 15 में से 12 प्रमुख शिंदे गुट में शामिल हो गए थे। कुल 12 राज्य प्रमुखों ने शिंदे गुट का दामन थाम लिया था। इनमें दिल्ली, गोवा, गुजरात, कर्नाटक और अन्य कई राज्यों के प्रमुख शामिल थे।

बता दें कि जून महीने में शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी। बगावत के साथ ही शिवसेना दो गुटों में बंट गई थी- उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट। ज्यादातर विधायक उस वक्त शिंदे गुट में शामिल थे, जिसके बाद महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार गिर गई।

इसके बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बने और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। साल 2019 में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार बनाई थी, जो ढाई साल बाद गिर गई। इससे पहले महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की गठबंधन की सरकार थी, लेकिन 2019 के चुनाव में उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया था।