बिहार चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। एनडीए ने एक बार फिर जीत का परचम लहराते हुए 125 सीटों पर कब्जा जमाया। खास बात यह रही कि इस बार एनडीए गठबंधन की बड़ी पार्टी जदयू की सीटों में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई, जबकि भाजपा ने अपना प्रदर्शन बेहतर करते हुए राज्य में दूसरी बड़ी पार्टी होने का तमगा हासिल किया। इसके पीछे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उनकी 7 लोगों की टीम का योगदान रहा। इस टीम में हर एक नेता की भूमिका पूरी तरह तय थी। किसी ने सीट बंटवारे में अपनी भूमिका निभाई, तो किसी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली।

भाजपा को चुनाव जिताने में किसका-किसका योगदान?
भाजपा को बिहार में चुनाव जिताने में सबसे बड़ा योगदान खुद जेपी नड्डा का ही रहा। उन्होंने चुनाव के पहले और मतदान के दौरान लगातार राज्य का दौरा किया। बताया जाता है कि नड्डा बिहार में ही पले-बढ़े हैं, इसलिए वे यहां की राजनीति को बेहतर ढंग से समझते हैं। नड्डा ने बिहार में 24 बड़ी जनसभाएं कीं। इनमें 22 जगहों पर उम्मीदवारों ने जीत हासिल की

दूसरा बड़ा नाम रहा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का। राय को पार्टी ने चुनाव संचालन समिति के संयोजक की भूमिका सौंपी थी। उन्होंने काफी प्रभावी तरीके से हर एक के काम की निगरानी की और जिम्मेदारियां तय कीं। इसके अलावा बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल भी लगातार चुनाव कार्यों में जुटे रहे। उन्होंने जदयू-भाजपा के बीच समन्वय कराने से लेकर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का भी जमकर प्रचार किया।

इन नामों के अलावा बिहार चुनाव में राज्य प्रभारियों की भूमिका अहम रही। भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले ही अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए कई बार राज्य के दौरे किए। इतना ही नहीं सीएम के चेहरे का फैसला करने के साथ दोनों पार्टियों के बीच सीटों के विवाद को सुलझाने और सीएम का चेहरा तय करने में भी दोनों नेताओं ने अहम भूमिका निभाई। बताया जाता है कि जहां भूपेंद्र यादव हर जिला मुख्यालय में कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करने पहुंचे, वहीं फडणवीस ने महागठबंधन से अलग हुई वीआईपी को अमित शाह से मिलाने और पार्टी कोटे से सीट देने का काम किया।

भाजपा को चुनाव जिताने में बड़े नामों के साथ-साथ कुछ ऐसे चेहरे भी शामिल रहे, जो पूरे चुनाव पर्दे के पीछे से ही पार्टी को मजबूत करने में जुटे रहे। फिर चाहे वह जातिगत समीकरण बिठाने की बात हो या संगठन और पार्टी के बीच समन्वय के काम में। प्रदेश संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ ने तो पदाधिकारियों के बीच सहयोग से काम करने की नींव रखी। वहीं, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव के अधिकांश सलाहकार मंडल में शामिल रहे। उन्होंने वैश्यों के बीच पार्टी की पैठ बनाई और स्वीकार्य नेता के तौर पर उभरे। इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संजय मयूख को चुनाव से ठीक पहले मीडिया प्रमुख बनाया गया था। उन्होंने भी पटना आने के बाद से कैंपिंग शुरू कर दी और मीडिया में पार्टी के कार्यों का प्रचार किया।