असम में शानदार विजय के बाद भी भाजपा को यह तय करने में बड़ी मुश्किल आएगी कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए। भाजपा आमतौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री को पुनः पद के दावेदार के रूप में प्रचारित करती है। लेकिन सर्बानंद सोनोवाल को चीफ मिनिस्टीरियल कैंडीडेट नहीं घोषित किया गया। चुनाव अभियान के दौरान जिस भी किसी बड़े नेता से पूछा गया, उसका एक ही तकनीकी जवाब था कि संसदीय दल ही नेता चुनेगा।
रविवार को जब भाजपा क्लियर मेजॉरिटी की तरफ बढ़ रही थी, उस वक्त पार्टी उपाध्यक्ष एव असम के प्रभारी जय पांडा यही कहते सुनाई दिए कि मुख्यमंत्री का चुनाव तो संसदीय दल ही करेगा। जीत का श्रेय सोनोवाल को मिलना ही चाहिए। उन पर एंटीइनकम्बेंसी का कोई असर नहीं हुआ। लेकिन, यह बात भी भूली नहीं जा सकती कि हिमांत बिस्वा शर्मा कुछ साल से असम में भाजपा का चेहरा बन गए हैं। वित्तमंत्री के रूप में उनके काम और कोरोना महामारी का अच्छा प्रबंधन दो ऐसी बातें हैं जिनकी वजह से पार्टी इतना अच्छा प्रदर्शन कर पाई है।
आपकी जीत के क्या कारण हैं? इस सवाल पर जय पांडा कहते हैं कि जो भी असम का चुनाव देख रहा था उसे मालूम है कि चुनाव में एंटी इनकम्बेंसी नहीं प्रो इनकम्बेंसी का असर रहा।
उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्व और असम मोदी जी के फोकस में बने ही रहे। पांच साल के दौरान आधारभूत ढांचे का काम, कानून एवं व्यवस्थता की बेहतर स्थिति और इस दौरान सांप्रदायिक दंगे न होने देना आदि बातें हमारे पक्ष में गईं।
भाजपा नेता ने गृहमंत्री के योगदान की भी प्रशंसा की और कहा कि पार्टी अध्यक्ष नड्डा जी भी जनता को विश्वास दिला दिया था कि भाजपा उसके साथ है और हमेशा रहेगी। इतनी तमाम बातों के बाद जब पांडा से अगले मुख्यमंत्री का नाम पूछा गया तो वे बस इतना ही बोल पाए कि यह चुनाव तो संसदीय दल करेगा।