समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के परिवार का तीन दशकों से भी ज्यादा समय से उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में प्रभावशाली रुतबा रहा है। हालांकि, पिछले 2-3 सालों में उन्हें एक के बाद एक नया झटका मिल रहा है। अब हेट स्पीच मामले में सजा पाए जाने के बाद समाजवादी पार्टी में भी इस बात की चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि आजम फिर से रामपुर में अपनी पकड़ बना पाएंगे या नहीं।

आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम खान को 2020 में विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। फिर, आजम और उनके बेटे और पत्नी सहित उनका परिवार कथित भूमि हथियाने, धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों के कई मामलों में जेल में रहा। इसी साल मई में ही वह जमानत पर जेल से छूटे और अब हेट स्पीच मामले में उन्हें तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई है। साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण को लेकर उन्हें कोर्ट ने दोषी पाया था। हालांकि, उन्हें सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद ही जमानत भी मिल गई।

हेट स्पीच मामले में दोषी पाए जाने के बाद आजम की यूपी विधानसभा की सदस्यता चली गई और उनकी रामपुर विधानसभा सीट भी खाली घोषित कर दी गई। आजम के खिलाफ चल रही कानूनी कार्यवाही के चलते उनका प्रभाव काफी समय से कम होता जा रहा है। ऐसे में वह फिर से रामपुर सीट को जीत पाएंगे या नहीं इस पर संशय बना हुआ है। सपा के कुछ अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस साल की शुरुआत में रामपुर लोकसभा उपचुनाव में उनके भरोसेमंद सहयोगी असीम रजा खान की हार से ही इस बात के संकेत मिल गए थे कि रामपुर पर आजम की पकड़ पहले जैसी नहीं है।

इस बीच उनकी स्वास्थ्य समस्याओं और मुलायम सिंह यादव की मृत्यु ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। पार्टी में आजम की स्थिति और कमजोर होने की संभावना लग रही है क्योंकि उनके राजनीतिक गुरु नहीं रहे। वहीं, उनके खिलाफ जो मामले दर्ज हैं, उनमें शिकायतकर्ता मुस्लिम हैं। एक सपा नेता ने बताया कि वर्तमान में खान परिवार का केवल एक निर्वाचित प्रतिनिधि है, अब्दुल्ला, जो सुआर सीट से विधायक हैं। सपा पदाधिकारी ने कहा कि रामपुर के लिए उपचुनाव आजम की ताकत की सबसे बड़ी परीक्षा होगी और यह दिखाएगा कि क्या वह अभी भी पहले की तरह क्षेत्र को नियंत्रित कर पाएंगे।

हालांकि, रामपुर में सपा के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने इन बातों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, “आजम साहब का पूरे यूपी में एक राजनीतिक साम्राज्य है। उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है, बल्कि यह बढ़ गया है क्योंकि लोग समझ गए हैं कि उनका परिवार अत्याचारों का सामना कर रहा है। लोग उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं।”