Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के रामपुर की कोर्ट ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को भड़काऊ भाषण के एक पुराने मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। सजा तय होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गयी है। शुक्रवार शाम को विधानसभा के प्रमुख सचिव ने एक पत्र जारी कर उनकी रामपुर सदर सीट को रिक्त घोषित करते हुए ये जानकारी दी है। हाल ही में वह 27 महीने बिताकर उत्तर प्रदेश की सीतपुर जेल से रिहा हुए थे। आजम खान के खिलाफ उत्तरप्रदेश में 80 से अधिक मामले दर्ज है और लगातार वह चर्चा में बने रहते हैं।
आजम खान का सियासी सफर
आजम खान का जन्म 14 अगस्त 1948 को उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में हुआ था, 1970 के दशक में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करते हुए वह यहां के छात्रसंघ की सियासत में काफी सक्रिय थे। 1980 में पहली बार जनता दल (सेक्युलर) के टिकट पर विधायक का चुनाव जीता और अगले दशकों में रामपुर की सियासत में घुल गए।
नौवीं विधानसभा में वो लोकदल और दसवीं विधानसभा में जनता दल के टिकट पर जीते, 11वीं विधानसभा का चुनाव उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर लड़ा और चौथी बार विधानसभा पहुंचे, वह रामपुर से दस बार विधायक रहे हैं। 1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई तब आजम खान भी इसके संस्थापक सदस्य थे और बाद में पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया। आजम खान समाजवादी पार्टी के संगठन में भी पद पर रहे हालांकि 17 मई 2009 को उन्होंने पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था।
जमीनी विवाद से लेकर जयाप्रदा पर टिप्पणी का मामला
आजम खान का सियासी सफर विवादों से खाली नहीं रहा है। कई ऐसे मामले हैं जिन्हें लेकर वह कई मर्तबा चर्चा में रहे हैं। 2006 में आजम खान ने रामपुर में मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी स्थापित की थी लेकिन आरोप है कि उन्होंने इस यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए आम लोगों की जमीनों पर कब्जे किए, यूनिवर्सिटी करीब 78 हेक्टेयर भूमि में बनी है जिसमें से 38 हेक्टेयर के करीब जमीन या तो सरकारी है या शत्रु संपत्ति है या दलितों से छीनी गयी है। हालांकि आजम खान इन आरोपों को निराधार बताते रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आजम खान ने रामपुर में भाजपा उम्मीदवार जया प्रदा के खिलाफ एक अपमानजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी और उन्हे प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
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आजम खान के चर्चित बयान
2010 में आजम खान ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद को लेकर कहा था कि वह कश्मीरी हैं भारतीय नहीं साथ ही उन्होने जम्मू-कश्मीर को लेकर कहा था कि यह भारत का हिस्सा नहीं है बल्कि विवादास्पद है, उनके इस बयान पर भी काफ़ी हंगामा हुआ था।
आजम खान 2009 में उस वक़्त काफी चर्चा में आए थे जब समाजवादी पार्टी ने कल्याण सिंह के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। समाजवादी पार्टी उस चुनाव में केवल 23 सीट जीत पाई थी इसके बाद आजम ने इसका दोष मुलायम और कल्याण की दोस्ती को देते हुए कहा था कि मुसलमान इससे आहत हैं जिसके बाद मुलायम ने आजम को छह वर्ष के लिए पार्टी से निकाला दिया था।
आजम खान ने 2014 में कारगिल युद्ध पर भी विवादित बयान दिया था। उस वक़्त वह उत्तरप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उन्होने कहा था कि 1999 में हुए कारगिल युद्ध को मुस्लिम सैनिकों द्वारा जीता गया है, इस मामले पर काफी विवाद हुआ था।
2019 में आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी एक विवादित बयान दिया था उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी हमें तुम्हारा गम नहीं चाहिए, देश की लगाम कातिल के हाथ नहीं सौंपनी है, देश को एक हत्यारे के हाथ नहीं सौंपना है, बटन दबाकर मुजफ्फरनगर का बदला लेना है।