एक पिता जिसे उसे बच्चे से दूर करने की साजिश रचने का मामला सामने आया है। एक मां अपने बच्चे को लेकर देश से ही भागने का प्लान बना रही थी लेकिन शुक्र हो अदालत का, कि पिता और बच्चे का मिलन हो सका। अदालत ने पहले सुलह की कोशिश की थी लेकिन अब उसे फटकार लगाई गई है। यह मामला महाराष्ट्र का है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसको लेकर पहले सुलह कराने की कोशिशें की थी लेकिन विवाद बढ़ने पर अहम फैसला सुनाया है।
दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट को एक केस में पता चला कि एक शख्स की पत्नी उसके दो महीने के बच्चे को फर्जी दस्तावेज के आधार पर देश से भागने की तैयारी कर रही है। ऐसे में कोर्ट ने शख्स को अपने बच्चे से मिलने की इजाजत दे दी। उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक खंडपीठ ने शख्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस जोड़े ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार भारत में शादी की थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि तीन मौकों पर उसने बच्चे के हित को देखते हुए दंपति के बीच विवाद को सुलझाने की कोशिश की। कोर्ट ने कपल के बीच सुलह कराने की काफी कोशिश की थी लेकिन इसका कोई खास परिणाम नहीं निकल सका। पीठ ने कहा कि बच्चा सभी सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष उपस्थित था।
दंपति के बीच विवाद होने पर पति ने महिला और उसकी मां के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अंधेरी की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 1 जनवरी, 2024 को दोनों को जमानत दे दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जब वे जमानत पर थे, तो महिला और उसकी मां ने उज्बेकिस्तान की यात्रा के लिए एक आपातकालीन यात्रा के तहत दस्तावेज में हेरफेर करने का प्रयास किया है।
इसके चलते उन् दोनों के ही खिलाफ एक FIR दर्ज कर दी है। हालांकि पुलिस रिपोर्ट अभी तक दाखिल नहीं की गई है। शख्स के वकील जितेंद्र तिवारी ने कहा कि वह बच्चे की हिरासत और या मुलाकात के अधिकार की मांग के लिए मुंबई में फैमिली कोर्ट के समक्ष कार्यवाही शुरू करेंगे। तब तक उन्होंने नाबालिग के लिए मुलाक़ात के अधिकार का अनुरोध किया है।