मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति से शारीरिक संबंध न बनाने को मानसिक क्रूरता माना है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने माना है कि पत्नी का अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना मानसिक क्रूरता है और यह पति के लिए तलाक लेने का वैध आधार है।

एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागू औऱ जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने भोपाल फैमिली कोर्ट के नवंबर 2014 उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक आदमी को तलाक लेने की इजाजत देने से इनकार कर दिया गया था। इस शख्स ने तर्क दिया था कि उसकी पत्नी उसके साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाने से इनकार कर उसके साथ मेंटल क्रूएलिटी कर रही है।

3 जनवरी को हाईकोर्ट द्वारा जारी किए आदेश में कहा गया, “हम विवाह या फिजिकल इंटीमेसी के अभाव के मुद्दे पर ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षों को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। ट्रायल कोर्ट ने यह गलत ठहराया है कि पत्नी की ओर से शादी को पूरा करने में विफलता तलाक का आधार नहीं हो सकती है…”

‘पत्नी का कृत्य मानसिक क्रूरता के बराबर’

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह भी माना कि पत्नी ने 12 जुलाई 2006 को शादी की तारीख से लेकर 28 जुलाई, 2006 को पति के भारत छोड़ने तक विवाह से इनकार किया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने शादी की। उसे उम्मीद थी कि शादी पूर्ण होगी लेकिन प्रतिवादी (पत्नी) ने इससे इनकार कर दिया। निश्चित ही यह कृत्य मानसिक क्रूरता के बराबर है।

अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा कि “वैवाहिक मामलों में मानसिक क्रूरता का निर्धारण करने के लिए कभी भी कोई सीधा फॉर्मूला या निश्चित पैरामीटर नहीं हो सकते”, और “मामले को निपटाने का उचित तरीका इसके विशिष्ट तथ्यों के आधार पर इसका मूल्यांकन करना होगा”।