इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि सरकार वरिष्ठ वकील अशोक निगम को सम्मान के तौर पर एक रुपया दे। कोर्ट ने यह आदेश 2004 में वकीलों के प्रदर्शन पर पुलिस के लाठीचार्ज से जुड़े एक मामले में दिया है। साल 2007 में वरिष्ठ वकील डॉ.अशोक निगम ने एक याचिका दायर की थी जिसमें घायल वकीलों को मुआवजा देने के साथ-साथ पुलिस कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई थी। लाठीचार्ज में डॉ. निगम को भी चोट आई थी।
कोर्ट ने सुनाया फैसला
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने 20 मार्च को मामले पर सुनवाई करते हुए वरिष्ठ वकील से पूछा था कि वह किस मुआवजे की उम्मीद कर रहे हैं। इसके जवाब में डॉ.अशोक निगम ने कहा था कि कोर्ट जो भी मुआवजा निर्धारित कर दें उन्हें मंजूर होगा, वह सिर्फ वकीलों का सम्मान चाहते हैं।
इसके बाद कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा–“विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अशोक निगम के सम्मान को देखते हुए हम प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता को मुआवजे के रूप में 1/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं।” कोर्ट ने इस आदेश में यह भी कहा कि कि डॉ. निगम एल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष हैं और लखनऊ पीठ के एक प्रमुख वकील भी हैं।
इस मामले में जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले आयोग का गठन किया गया था। बाद में आयोग ने यह कहते हुए मामले को बंद करने की सिफारिश की थी कि अब मामला वक्त के साथ शांत हो गया है। हालांकि कोर्ट ने मामले को बंद करने से 2020 में इनकार कर दिया था। पिछले महीने कोर्ट ने वकील अशोक निगम के कहने पर मामले को बंद करने का फैसला किया था। कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि यह वकीलों के साथ मारपीट का साधारण मामला नहीं था।