एनजीटी ने उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के एक अस्पताल पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हॉस्पिटल पर यह एक्शन इसलिए लिया गया क्योंकि वह पर्यावरण अधिनियम के तहत कानूनी मंजूरी के बिना अवैध तरीके से संचालित हो रहा था। एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें कहा गया था कि मेरठ में गढ़ रोड पर मौजूद यशोदा अस्पताल जरूरी मंजूरी के बिना चलाया जा रहा था।

एनजीटी ने 20 फरवरी को मामले में एक जॉइंट कमेटी का गठन किया था और रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। समिति में यूपीपीबी के प्रतिनिधि, मेरठ के जिला अधिकारी, चीफ मेडिकल ऑफिसर और जिला नगर निगम के आयुक्त भी शामिल थे। हाल में परित एक आदेश में न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने उस रिपोर्ट पर भी ध्यान दिया जिसके अनुसार जिले के मेडिकल ऑफिसर ने अस्पताल की जांच की थी और मेडिकल रेगुलेशन का पालन न करने की वजह से उसका रजिस्ट्रेशन 25 नवंबर को रद्द कर दिया गया था।

पीठ ने रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि हॉस्पिटल बंद पड़ा हुआ था। इसलिए जल और वायु प्रदूषण की रोकथाम से जुड़े कानूनों की निगरानी जॉइंट कमेटी के द्वारा की जा सकती थी। एनजीटी ने अपने सामने पेश सबूतों को ध्यान में रखते हुए कहा कि बंद होने से पहले अस्पताल जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम के तहत कानूनी मंजूरी के बिना ही संचालित किया जा रहा था।

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पर्यावरण के कानूनों का हुआ उल्लघंन

इतना ही नहीं एनजीटी ने यह भी कहा कि हमें जानकारी मिली है कि हॉस्पिटल परिसर में बेकार पानी को सही बनाने के लिए वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था। लेकिन इस प्लांट के लिए अधिकारियों से कोई भी इजाजत नहीं ली गई। इसे देखते हुए यह साफ है कि काफी टाइम से अस्पताल अवैध तरीके से चल रहा था और पर्यावरण के कानूनों का उल्लंघन करते हुए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा था।

धनराशि का इस्तेमाल कहां होगा

एनजीटी ने कहा कि हॉस्पिटल ने वायु अधिनियम के तहत मंजूरी लिए बिना एक डीजल जनरेटर भी लगाया था। उसने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर हमारा साफ तौर पर मानना है कि प्रोजेक्ट के प्रस्तावक पर प्रदूषक भुगतान सिद्धांत लागू होता है। एनजीटी ने अस्पताल को पिछले उल्लघंनों के लिए यूपीपीसीबी को दो महीने के अंदर पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया। इतना ही नहीं एनजीटी ने कहा कि जो राशि मुआवजे में मिलेगी उसका इस्तेमाल पर्यावरण में सुधार और कायाकल्प करने के लिए किया जाएगा।