बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जदयू के नेतृत्व वाले एनडीए ने बाजी मारी है। राज्य में बीजेपी सीटों के मामले में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जबकि तेजस्वी यादव की पार्टी राजद को सबसे ज्याद वोट मिले हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वोट शेयर के मामले में राजद के बाद बीजेपी और जदयू का नंंबर आता है।
राज्य के चुनाव परिणाम के बाद से सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर चर्चा हो रही है। जनसत्ता की इस खबर में हम आज इस बात का एनालिसिस करेंगे कि क्या किसी चुनाव में ज्यादा वोट शेयर मिलना सबसे ज्यादा सीटें मिलने की गारंटी दिलाता है?
क्यों वोट शेयर ज्यादा होने के बाद कम मिली सीटें?
बिहार में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को सबसे ज्यादा 23% वोट मिले लेकिन वह सिर्फ 25 सीटें ही जीत सका। राजद ने इस चुनाव में बिहार की 143 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। अगर एक नजर बिहार के पिछले चुनाव (2020) पर डालें तो पता चलता है कि राजद ने करीबी इतनी ही सीटों (144) पर चुनाव लड़ा और 75 पर जीत दर्ज की और 23.11% वोट पाया। इसकी वजह यह कि इस बार बिहार में कई सीटों पर RJD दूसरे नंबर पर रही – यानी लोग उसे पसंद तो कर रहे थे, लेकिन जीतने के लिए जितने वोट उस सीट उसे मिलने चाहिए थे, उतने नहीं मिले।
| क्रम संख्या | पार्टी | कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा? | कितनी सीटें जीतीं? | वोट शेयर |
| 1 | बीजेपी | 101 | 89 | 20.08% |
| 2 | जदयू | 101 | 85 | 19.25% |
| 3 | राजद | 143 | 20 | 23% |
| 4 | लोजपा (RV) | 28 | 19 | 4.97% |
आसान भाषा में बात करें तो RJD ने बहुत ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा। इस वजह से उसे पूरे राज्य में कुल मिलाकर बहुत वोट मिले और उसका कुल वोट-शेयर सबसे अधिक हो गया।
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लेकिन जो उम्मीदवार हारे भी उन्हें मिले वोट भी पार्टी के वोटों में गिने गए। इससे सीटें नहीं बढ़तीं लेकिन वोट-शेयर जरूर बढ़ गया। राजद के उलट BJP और JDU ने सिर्फ 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा। उन्होंने कम सीटों पर लड़ाई की, लेकिन जहां लड़े, वहां अपने वोटों को जीत में बदल दिया। इसलिए उनका कुल वोट-शेयर RJD से कम होने के बावजूद उनकी सीटें ज्यादा आ गईं।
बिहार चुनाव 2015 पर एक नजर
बिहार में इस बार जीतने सीटों पर बीजेपी और जदयू लड़े हैं, साल 2015 में उतनी ही सीटों पर राजद और जदयू चुनाव लड़े थे। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में राजद और जदयू ने 101-101 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और क्रमश: 80 और 71 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में राजद को 18.35% वोट और जदयू को 16.83% वोट मिला। 2015 के बिहार चुनाव में बीजेपी की स्थिति बिलकुल वैसी ही थी, जैसी 2025 के चुनाव में राजद की रही। 2015 के चुनाव में बीजेपी ने 157 सीटों पर चुनाव लड़ा और 53 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में बीजेपी को 24.42% वोट मिले।
| क्रम संख्या | पार्टी | कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा? | कितनी सीटें जीतीं? | वोट शेयर |
| 1 | बीजेपी | 157 | 53 | 24.42% |
| 2 | जदयू (महागठबंधन) | 101 | 71 | 16.83 |
| 3 | राजद (महागठबंधन) | 101 | 80 | 18.35% |
गठबंधन भी बड़ा फैक्टर
बिहार में पिछली बार लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं थी। उसके प्रत्याशियों ने जदयू को कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया और इस वजह से 115 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी जदयू 43 सीटें जीत सकी और उसे 15.39% वोट मिले। इस बार लोजपा के साथ आने जदयू भले ही कम सीटों पर चुनाव लड़ी (101) लेकिन उनसे वोट शेयर में करीब 4% का इजाफा हुआ और वह पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार 42 सीटें ज्यादा जीतीं।
| क्रम संख्या | विधानसभा चुनाव | लोजपा कितनी सीटें लड़ी? | कितनी जीती? | वोट शेयर? |
| 1 | 2015 | 42 | 2 | 4.83% |
| 2 | 2020 | 135 | 1 | 5.66% |
| 3 | 2025 | 28 | 19 | 4.97% |
बात अगर लोजपा की करें तो लोक जनशक्ति पार्टी साल 2015 में भाजपा के साथ गठबंधन करके 42 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ दो सीटें जीती और उसे 4.83% वोट मिले। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ी और एक सीट पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में चिराग की पार्टी को 5.66% वोट मिले। हाल में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा भाजपा और जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ी। पिछले दो चुनावों की के मुकाबले इस बार वह बेहद कम सीटों (सिर्फ 28 सीटों) पर मैदान में थी लेकिन उसने 19 सीटों पर जीत हासिल की और राज्य में करीब उतना ही वोट (4.97%) हासिल किया।
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