नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर के जिला मजिस्ट्रेट पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की वजह बताते हुए एनजीटी की ओर से कहा गया है कि डीएम को क्रोमियम और जहरीली धातुओं के संपर्क में आने वाले लोगों की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने खुद हाजिर होकर रिपोर्ट पेश नहीं की और आदेश का पालन नहीं किया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एनजीटी कानपुर नगर जिले के जाजमऊ गांव में चमड़े के कारखानों से निकलने वाले जहरीली धातुओं और कुछ स्थानों पर क्रोमियम से बढ़ रही समस्या पर सुनवाई कर रहा है।
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने डीएम को दिया था निर्देश
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने 14 अगस्त को एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि ट्रिब्यूनल ने पहले कानपुर नगर और कानपुर देहात के जिलाधिकारियों को जहरीली धातुओं के संपर्क में आने से प्रभावित लोगों की स्थिति और उन्हें प्रदान की गई स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
आदेश देने वाली बेंच में न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। बेंच ने यह अंडरलाइन किया कि ट्रिब्यूनल के 13 मई, 2024 के निर्देशों में यह कहा गया था यदि कोई डीएम ट्रिब्यूनल के समक्ष सीधे रिपोर्ट दाखिल करना चाहता है, तो अधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर खुद आना होगा। कानपुर नगर के डीएम ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील के माध्यम से रिपोर्ट भेजे बिना सीधे 12 अगस्त को दाखिल कर दी थी और खुद हाजिर नहीं हुए थे।
इस पर बेंच ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट, कानपुर नगर जिन्हें इन प्रस्तुतियों का जवाब देना था, वे ऑनलाइन शामिल नहीं हुए हैं। इसलिए, हम 13 मई, 2024 के आदेश में दिए गए ट्रिब्यूनल के निर्देश का पालन नहीं करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट, कानपुर नगर पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाते हैं। यह जुर्माना उनके द्वारा दो सप्ताह के भीतर एनजीटी बार एसोसिएशन में जमा किया जाएगा।