बिहार कांग्रेस ने पिछले हफ्ते पटना में अपने कार्यालय सदाकत आश्रम से लेकर बांस घाट स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद की समाधि तक एक विरोध मार्च निकाला। इस मार्च का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने किया। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि सरकार ने भागलपुर में 1050 एकड़ जमीन अडाणी समूह को महज 1 रुपये सालाना लीज पर सौंप दी है।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि यह लैंड डील 10 लाख पेड़ों की कटाई के साथ बिहार के भविष्य को अडानी के हाथों गिरवी रखने जैसा है और राज्य के संसाधनों की बहुत बड़ी लूट है। साथ ही पार्टी ने दावा किया कि मोदी-अडानी साजिश के तहत एग्रीकल्चर लैंड को बंजर घोषित कर दिया गया है। हालांकि, बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने इन आरोपों को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि यह प्रोजेक्ट टेंडर प्रोसेस का पालन करता है और बिहार के विकास और रोजगार के लिए भी काफी अहम है। आइए अब जानते हैं कि आरोप क्या है और अडानी को यह प्रोजक्ट कैसे मिला।

पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट क्या है?

पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट भागलपुर जिले के पीरपैंती क्षेत्र में अडानी पावर लिमिटेड की तरफ से विकसित किया जा रहा 2400 मेगावाट का कोयला आधारित बिजली प्रोजेक्ट है। यह राज्य में प्राइवेट सेक्टर में सबसे बड़ा निवेश है। इसमें अडानी लगभग 3 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में 800 मेगावाट की तीन यूनिट लगाई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट से 10000-12000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।

कांग्रेस पार्टी के क्या आरोप हैं?

कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने लैंड डील के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। सबसे पहला आरोप लैंड ट्रांसफर एट टोकन रेट है। पार्टी ने कहा कि 1050 एकड़ जमीन अडानी पावर को 33 सालों के लिए मात्र 1 रुपये सालाना की दर से लीज पर दी गई है। कांग्रेस पार्टी ने इसे अडानी ग्रुप को गिफ्ट बताया है। दूसरा आरोप पर्यावरण से संबंधी चिंताओं को लेकर है। पार्टी का दावा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 10 लाख पेड़ काटे जाएंगे, इसे पर्यावरण विनाश कहा जा रहा है।

फॉर्म लैंड कन्वर्जन का तीसरा आरोप है। कांग्रेस का कहना है कि जमीन का आसानी से सौदा करने के लिए उपजाऊ खेतों को गलत तरीके से बंजर ज़मीन दिखाया जा रहा है। चौथा आरोप महंगी बिजली का है। पार्टी ने इस बात पर चिंता जताई है कि बिहार के लोगों को 6.075 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है, जबकि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में यह दर कम है।

अडानी ने कैसे मिला यह प्रोजेक्ट?

पीरपैंती पावर प्लांट सौदा पूरी तरह से नया नहीं है, बल्कि यह एक दशक से भी ज्यादा वक्त से चल रही कोशिशों का नतीजा है। यह भ्रष्टाचार के घोटालों और मुआवजे में अनियमितताओं को लेकर किसानों के विरोध के कारण विफल हो गया था। राज्य सरकार के मुताबिक, अडानी पावर ने इलेक्ट्रीसिटी एक्ट की धारा 63 के तहत टीबीसीबी के जरिये आयोजित की गई बोली प्रक्रिया के माध्यम से प्रोजेक्ट जीता।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा ने यह भी साफ किया कि यह जमीन बिहार स्टेट पावर जनरेशन कंपनी को 2022 में एक रुपये प्रति वर्ष की दर से पट्टे पर ट्रांसफर कर दी गई थी, इससे पहले कि हाल ही में हुई बोली प्रक्रिया में अडानी ने जीत हासिल की। ​​उन्होंने कहा कि जमीन की दर, बिजली उत्पादन लागत कम करने के लिए सेलेक्शन प्रोसेस का हिस्सा थी और जमीन का स्वामित्व पूरी तरह से बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के पास है।

क्या 1 रुपए में लैंड ट्रांसफर केवल अडानी के लिए ही है?

यह सिर्फ अडानी के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है। इसी साल अगस्त में बिहार कैबिनेट ने “बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज 2025” को मंज़ूरी दी थी, जिसके तहत योग्य निवेशकों को सिर्फ एक रुपये की टोकन दर पर जमीन देने की पेशकश की गई थी। इस नीति के तहत 100 करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट करने वाले और 1000 नौकरियां पैदा करने वाले इंवेस्टर्स को 10 एकड़ फ्री जमीन मिलेगी।1000 करोड़ रुपये का निवेश करने वालों को 25 एकड़ तक मुफ्त ज़मीन मिलेगी, जबकि फॉर्च्यून 500 कंपनियों को 10 एकड़ मुफ्त जमीन मिलेगी।

पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बारे में क्या?

पेड़ों की कटाई के संबंध में मिश्रा ने साफ किया कि भूमि अधिग्रहण के दौरान 10,055 पेड़ों की गिनती की गई थी। केवल पावर प्लांट एरिया (300 एकड़) और कोल हैंडलिंग एरिया के अंदर ही पेड़ काटे जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि मुआवजे के तौर पर 100 एकड़ जमीन पर वनरोपण के तहत एक ग्रीन बेल्ट विकसित की जाएगी।

थर्मल पावर रिन्यूएबल एनर्जी के मुकाबले ज्यादा महंगी क्यों है?

मिश्रा ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी की लागत 3-3.50 रुपये प्रति यूनिट है, लेकिन इसकी उपलब्धता मौसम और दिन के समय के आधार पर काफी अलग-अलग होती है। रिन्यूएबल एनर्जी कैपिसिटी यूटिलाइजेशन फैक्टर सोलर एनर्जी के लिए केवल 22% और विंड एनर्जी के लिए 32% है। इसके उलट थर्मल पावर हमेशा उपलब्ध रहती है।

क्या अडानी के प्रोजेक्ट को लेकर दूसरी जगह भी इसी प्रकार के विवाद हुए हैं?

मंत्री ने कहा कि बिजली परियोजनाओं के लिए अडानी के भूमि अधिग्रहण का दूसरे राज्यों में भी विरोध हुआ है। झारखंड के गोड्डा में , किसानों ने अडानी की 1600 मेगावाट की थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण, धमकी और पुलिस बर्बरता का आरोप लगाया है। झारखंड सरकार ने इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की जांच के लिए अगस्त 2025 में एक हाई-लेवल पैनल का गठन किया था।

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इसका राजनीतिक संदर्भ क्या है?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद सामने आया है। कांग्रेस का आरोप है कि जब भी बीजेपी चुनावी हार का सामना करती है, गौतम अडानी को तोहफे दिए जाते हैं। कांग्रेस ने महाराष्ट्र, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह के उदाहरण दिए हैं। इस बीच, बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस बिहार के विकास में बाधा डालने की कोशिश कर रही है और कहा कि बिहार सरकार जमीन बेच नहीं रही है, बल्कि पट्टे पर दे रही है।

भूमि अधिग्रहण डॉक्यूमेंट्स से क्या पता चलता है?

भागलपुर जिला भूमि अधिग्रहण कार्यालय की तरफ से आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों के मुताबिक, पीरपैंती परियोजना में पांच रेवेन्यू विलेज की 988.335 एकड़ रैयती भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। इससे 919 जमीन के मालिकों पर असर पड़ा। मुआवजा अलग-अलग था क्योंकि अलग-अलग प्लॉट पर पेड़ों और संरचनाओं की संख्या अलग-अलग थी। पेड़ों का मूल्यांकन भागलपुर के डिस्ट्रिक्ट फोरेस्ट ऑफिसर द्वारा किया गया। 18 मई 2010 के राजस्व विभाग के निर्देश के मुताबिक, भूमि अधिग्रहण में “वन प्रोजेक्ट वन रेट” सिद्धांत का पालन किया गया, लेकिन एक ही प्रोजेक्ट के अंदर अलग-अलग तरह की जमीनों की दरें अलग-अलग थीं।