Madhya Pradesh News: इंदौर-देवास हाईवे पर 40 घंटे तक लगे जाम में तीन लोगों की मौत का मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट पहुंच गया। जब इंदौर की बेंच इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, तो कोर्ट में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के वकील ने एक चौंकाने वाला तर्क दिया है। उनके इस तर्क से वहां पर हर कोई हैरान रह गया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के वकील ने कथित तौर पर कहा, ‘लोग बिना किसी काम के इतनी जल्दी घर से क्यों निकलते हैं?’ वकील की इस टिप्पणी से लोगों में गुस्सा भर गया। यह जाम शुक्रवार से शुरू हुआ और 8 किलोमीटर तक लगा रहा। इसमें 4,000 से ज्यादा वाहन फंस गए। मरने वालों में इंदौर के कमल पंचाल भी शामिल हैं। वह एक घंटे से ज्यादा वक्त तक ट्रैफिक में फंसे रहने के कारण गर्मी में दम घुटने से दिल का दौरा पड़ने से मर गए। शुजालपुर के बलराम पटेल और गारी पिपल्या गांव के संदीप पटेल की भी मौत हो गई।

एनएचएआई का कोई अधिकारी फंस गया होता तो पता चलता – सुमित

बलराम के भतीजे सुमित पटेल ने गुस्से में कहा, ‘किसी के पास बिना वजह सड़कों पर घूमने का समय नहीं है। हम एक जान बचाने की कोशिश में सड़क पर थे- मेरे चाचा की। अगर एनएचएआई का कोई अधिकारी हमारी तरह फंस गया होता, तो वे इस आघात को समझ सकते थे।’

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कोर्ट ने जारी किया नोटिस

ट्रैफिक जाम के कारण तीन लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार और एनएचएआई को नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी ने जारी किया है। इंदौर प्रशासन और पुलिस को भी नोटिस जारी किया गया है। सभी पक्षों को कानूनी नोटिस का जवाब देने के लिए 7 जुलाई तक का समय दिया गया है।

एनएचएआई के खिलाफ ताजा नोटिस जारी करते हुए , हाईकोर्ट ने कहा कि उसने हाईवे बॉडी को सितंबर 2024 में डायवर्जन रोड का निर्माण पूरा करने के लिए चार हफ्ते की टाइम लिमिट तय की थी। एनएचएआई ने इस देरी के लिए क्रशर इकाइयों की 10 दिन की हड़ताल को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि, अदालत ने कहा कि उसने सड़क का काम पूरा करने के लिए तीन से चार महीने का समय मांगा था। हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के दौरान बीयर पीते दिखे सीनियर वकील