UP By Election: उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं किया है। एनडीए और इंडिया ब्लॉक ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने पिछले दो दिनों में चार सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है।

बसपा प्रमुख ने जिन सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान किया है। उनमें- कटेहरी, मिल्कीपुर, मझवां और फूलपुर शामिल हैं। पार्टी ने इन निर्वाचन क्षेत्रों में जनसभाएं करके अपना अभियान भी शुरू कर दिया है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में लगातार खराब प्रदर्शन के बाद बीएसपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। पार्टी उपचुनाव जीतकर 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले अपनी राजनीतिक किस्मत को फिर से चमकाने की उम्मीद कर रही है।

वहीं लोकसभा चुनावों में लगे झटके के बाद भाजपा ने उन सभी 10 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने का संकल्प लिया है। जहां उपचुनाव होने हैं। इस तरह उसने राज्य में अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है। साथ ही विपक्ष को यह संदेश देने की कोशिश की है कि उसकी हालिया गिरावट कुछ समय के लिए है।

नौ विधायक चुने गए सांसद

इस साल के लोकसभा चुनाव में नौ विधायकों के सांसद चुने जाने और कानपुर के सीसामऊ के विधायक को दोषी करार दिए जाने और सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद खाली हुई 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। हालांकि, अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है।

भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने 14 जुलाई को पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि आइए हम सब संकल्प लें कि हम आगामी 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 100 प्रतिशत जीत हासिल करेंगे। तब से भाजपा संगठन सभी 10 सीटों के लिए व्यापक तैयारी कर रहा है, जिसमें बूथ स्तर पर भी तैयारी शामिल है, जिसमें मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को एक-एक विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने कहा था कि भले ही उपचुनाव की तारीखें तय नहीं हुई हैं, लेकिन पार्टी ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के चुनाव प्रबंधन से जुड़े पाठक ने कहा था कि भाजपा और उसके सहयोगी दल मिलकर सभी 10 सीटें जीतेंगे।

लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को मिलीं 33 सीटें

लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 33 सीटें जीतीं, जो 2019 में जीती गई 62 सीटों से काफी कम है। इसके सहयोगी रालोद और अपना दल (एस) तीन और सीटें जीतने में सफल रहे, जिससे गठबंधन की संख्या 36 हो गई। इस बीच, राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं तथा एक सीट आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने जीती।

2022 में बीजेपी ने 8 सीटों पर लड़ा था चुनाव, तीन जीतीं

दो साल पहले (2022) विधानसभा चुनावों में भाजपा ने आसानी से जीत हासिल की थी। जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें मझवा और कटेहरी सीट पर भाजपा ने अपनी सहयोगी निषाद पार्टी को टिकट दिया था तथा करहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, मीरापुर, फूलपुर और सीसामऊ में अपने उम्मीदवार उतारे थे।

इनमें से निषाद पार्टी मझवा में जीती लेकिन कटेहरी में हार गई। भाजपा ने जिन आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से उसे केवल तीन सीटें मिलीं – खैर, गाजियाबाद और फूलपुर सीटें। बाकी पांच सीटें सपा ने जीतीं, जबकि एक सीट रालोद ने जीती, जो उस समय विपक्ष में थी। लोकसभा चुनाव से पहले यह सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गई।

2022 के चुनावों में फूलपुर में भाजपा उम्मीदवार ने सपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ तीन हजार से भी कम मतों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि खैर और गाजियाबाद में भाजपा ने जीत हासिल की।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मिल्कीपुर, शीशमऊ, कटेहरी और मीरापुर जैसी सीटें भी भाजपा के लिए कठिन हैं। मिल्कीपुर (अयोध्या) सीट सपा के अवधेश प्रसाद के फैजाबाद (अयोध्या) संसदीय सीट से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है और करहल (मैनपुरी) सीट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। भाजपा इन दोनों सीटों पर काफी उत्सुक है।

अंदरूनी कलह के चलते भाजपा को लग सकता झटका

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में अयोध्या दौरे के दौरान मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक बैठक को संबोधित किया। शनिवार को आदित्यनाथ पड़ोसी जिले अंबेडकर नगर के कटेहरी विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया। उनका सभी उपचुनाव क्षेत्रों का दौरा करने का कार्यक्रम है। पार्टी ने करहल में भी पूरी ताकत झोंक दी है और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत कई नेता और मंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय हैं। भाजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी इन सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है और पिछले चुनावों में यहां हार का सिलसिला खत्म करना चाहती है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा की राज्य इकाई की अंदरूनी कलह भी पार्टी के लिए समस्या बन सकती है।

वहीं भाजपा के सहयोगी दलों ने उपचुनाव में टिकटों की पैरवी शुरू कर दी है। एनडीए की सहयोगी निषाद पार्टी के नौवें स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के मत्स्य पालन मंत्री संजय निषाद ने ऐलान किया कि पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में कटेहरी (जिला अंबेडकर नगर) और मझवां (जिला मिर्जापुर) सीट पर अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ी थी और आगामी उपचुनाव में भी वह दोनों सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

रालोद ने भी दो सीटों की मांग तेज कर दी है। रालोद के एक नेता ने बताया कि पार्टी ने 2022 में मीरापुर सीट जीती है और पार्टी पश्चिम में एक और सीट चाहती है।

अपना दल (एस) भी उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतारना चाहता है। पार्टी प्रवक्ता राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि अगर पार्टी को चुनाव लड़ने का मौका मिलता है तो वे निश्चित रूप से जीतेंगे।

403 सीटों में से बीजेपी का 251 पर कब्जा

वर्तमान में 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास 251 विधायक हैं, उसकी सहयोगी अपना दल (एस) के पास 13, राष्ट्रीय लोक दल के पास आठ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के पास छह और निषाद पार्टी के पास पांच विधायक हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी के पास 105 विधायक हैं, कांग्रेस के पास दो, जनसत्ता दल (डेमोक्रेटिक) के पास दो और बहुजन समाज पार्टी के पास एक विधायक है।