केंद्र की एनडीए सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने अपनी पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के ऐलान के साथ ही एक नए समीकरण की राजनीति शुरू करने की कोशिश की है। पटेल ने कुछ दिन पहले ही सीतापुर से आने वाले जाटव नेता आरपी गौतम को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। बीजेपी की सहयोगी अनुप्रिया को साल 2014 के बाद से उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज का बड़ा नेता माना जाता है। ऐसे में किसी दलित नेता पर दांव लगाना अनुप्रिया की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

बीते 29 मई को आरपी गौतम को अपना दल (एस) का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पार्टी में वो सहकारिता शाखा के अध्यक्ष के तौर पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार अनुप्रिया और यूपी सरकार में मंत्री और उनके पति आशीष पटेल ने लखनऊ और दिल्ली में करीब एक महीने के मंथन के बाद ये निर्णय लिया।

प्रदेश की सभी सीटों पर जाटवों का प्रभाव

पार्टी के एक नेता से गौतम की नियुक्ति को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति के पीछे की मुख्य वजह ये है कि दलितों में ज्यादातर उप जातियां बिखरी हुई हैं और कुछ जिलों तक ही सीमित हैं, लेकिन जाटव का प्रभाव प्रदेश की सभी 403 सीटों पर फैला है। वो सभी सीटों पर निर्णायक होते हैं।

योगी सरकार ने रोक दिया था दरगाह पर लगने वाला मेला, अब BJP नेता ने वहीं चढ़ाई चादर

उत्तर प्रदेश में आबादी के हिसाब से दलितों की संख्या करीब 21 फीसदी है। जिसमें से 14 फीसदी जाटव और 7 फीसदी पासी हैं। लंबे समय से जाटव एक साथ मायावती को अपना समर्थन देते आते हैं। जबकि पासी समाज ने 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का साथ दिया था। जिसके वजह से बीजेपी को अपने सबसे मजबूत गढ़ अयोध्या में अवधेश प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा था। अवधेश पासी समाज से आते हैं।

जाटव पर हर पार्टी की नजर

अपना दल कोई पहली पार्टी नहीं है जिसने जाटवों पर दांव लगाने का प्रयास किया हो। पश्चिम यूपी के अधिकांश इलाकों में अपना प्रभाव रखने वाले जयंत चौधरी भी जाटव वोटों पर दांव लगा चुके हैं। वर्तमान में रालोद के कोटे से यूपी सरकार में मंत्री अनिल कुमार जाटव समाज से ही आते हैं। वहीं योगी सरकार में बीजेपी कोटे से भी तीन मंत्री हैं जो जाटव बिरादरी से आते हैं। बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण और गुलाब देवी जाटव समाज से आती हैं।

कौन हैं प्रिया सरोज? क्रिकेटर रिंकू सिंह से शादी की तारीख तय

अपना दल ने ये फैसला सपा द्वारा दलित वोट बैंक साधने के प्रयास में बसपा के संस्थापक सदस्य रहे दद्दू प्रसाद को पार्टी में शामिल करने के बाद लिया है। सपा ने 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाने के लिए सप्ताह भर का जश्न भी मनाया। हाल ही में, जब राजपूत राजा राणा सांगा पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए सपा सांसद रामजी लाल सुमन की आलोचना की गई, तो पार्टी ने यह कहकर पलटवार किया कि जो भी लोग हमले कर रहे हैं वो लोग दलित विरोधी हैं।

प्रयागराज और आसपास के जिलों में है अपना दल का प्रभाव

अपना दल ने इस नियुक्ति को लेकर कहा कि जाटवों का समर्थन पार्टी के मुख्य वोट बैंक कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग के समर्थन आधार के साथ मिलकर अगले साल के स्थानीय निकाय चुनावों के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनावों में भी पार्टी को अच्छी स्थिति में पहुंचाएगा। वर्तमान में पार्टी के 13 विधायक हैं जबकि मिर्जापुर से अनुप्रिया एकमात्र लोकसभा सांसद हैं।

मऊ में खत्म हो जाएगी अंसारी परिवार की सियासत, CM योगी के चक्रव्यूह से निकलना मुश्किल?

अपना दल के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि बसपा को राज्य में सफलता तब मिली जब उसके जाटव समर्थक राम खेलावन वर्मा, बाबू सिंह कुशवाह और लालजी वर्मा जैसे ओबीसी चेहरों के साथ मिल गए। यह सामाजिक समीकरण 1995 में सोनेलाल पटेल द्वारा अपना दल की स्थापना के बाद से ही इसकी नींव रही है। सोने लाल ने भी बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ ही राजनीति शुरू की थी। हालांकि इस समीकरण के बाद भी सोनेलाल पटेल ने कोई चुनाव नहीं जीता, लेकिन उन्होंने राज्य की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कुर्मी चेहरा बन गए। वर्तमान में अपना दल का प्रयागराज, कौशांबी और इसके आसपास के जिलों जैसे क्षेत्रों में प्रभाव माना जाता है।

गौतम से पहले जमुना सरोज भी बन चुके हैं प्रदेश अध्यक्ष

आशीष पटेल ने कहा कि अपना दल का मूल मूल्य हमेशा से ही दबे-कुचले वर्गों का उत्थान करना रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे 13 विधायकों में से पांच दलित समुदाय (तीन जाटव, एक कोल और एक पासी), पांच कुर्मी समुदाय और एक-एक ब्राह्मण, मुस्लिम और सोनार समुदाय से हैं। यह इस बात का सबूत है कि हमारी पार्टी सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व देती है।”

हालांकि गौतम की नियुक्ति से कई लोगों को आश्चर्य हुआ, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश इकाई की कमान किसी दलित नेता को सौंपी है। इससे पहले, पासी समाज से आने वाले पार्टी के विधायक जमुना प्रसाद सरोज भी राज्य इकाई का नेतृत्व कर चुके हैं। इससे पहले अनुप्रिया ने पाल समाज से आने वाले अति पिछड़ा वर्ग के राजकुमार पाल को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।