लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उत्तर प्रदेश के रामपुर में नफरत फैलाने और भड़काऊ भाषण देने के दोषी समाजवादी पार्टी नेता आजम खान की विधायकी पर तलवार लटक गई है। एमपी-एमएलए कोर्ट रामपुर ने सपा नेता को तीन साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने खान को सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए आठ दिनों का समय दिया है। आइए, जानते हैं कि आजम खान के खिलाफ साल 2019 का वह हेट स्पीच केस क्या है? उस दौरान उन्होंने ऐसा क्या कहा था जिसे कोर्ट ने कानून के खिलाफ माना और तीन साल की सजा सुनाई है?
2017 के बाद लगभग 80 मामले, पहली बार सजा
एमपी-एमएलए कोर्ट के एडिशनल मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम निशांत मान ने सुनवाई के बाद आजम खान को गुरुवार को सजा सुनाई थी। रामपुर के विशेष लोक अभियोजक एसपी पांडेय का कहना है कि सपा विधायक आजम खान एक महीने के अंदर हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। हालांकि सजा सुनाए जाने के बाद एमपीएमलए कोर्ट ने ही उन्हें नियमों के मुताबिक जमानत दे दी। सपा नेता के खिलाफ साल 2017 के बाद दर्ज लगभग 80 मामलों में यह पहला मौका है जिसमें सजा सुनाई गई है। बाकी सभी मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं।
आजम खान को चुकाना होगा जुर्माना
रामपुर के विशेष लोक अभियोजक एसपी पांडेय का कहना है कि सपा विधायक आजम खान एक महीने के अंदर हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। केस में सरकार का पक्ष रखने वाले पांडेय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आजम खान ने सात अप्रैल, 2019 को भड़काऊ भाषण दिया था। अपने भाषण में उन्होंने तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जो रिटर्निंग ऑफिसर भी थे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। केस की सुनवाई के दौरान आजम खान के खिलाफ और बचाव में पांच-पांच गवाहों ने बयान दिया था। पांडेय ने बताया कि खान को उनके खिलाफ दर्ज केस में लगे तीनों धाराओं के तहत दोषी पाया गया। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई। इसके अलावा तीनों अपराध के लिए अलग-अलग दो-दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
आजम खान को हेट स्पीच केस में कोर्ट ने सुनाई सजा, देखें वीडियो
क्या है पूरा मामला, किन धाराओं में दर्ज है केस
आजम खान के खिलाफ 9 अप्रैल, 2019 को भारतीय दंड संहिता की धाराएं 153-ए ( विभिन्न समूहों में दुश्मनी को बढ़ावा), 505 (1) ( अफवाह, रिपोर्ट और बयान को प्रसारित या वितरित करना) और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 ( चुनाव से जुड़े वर्गों में दुश्मनी भड़काना) के तहत केस दर्ज किया गया था। निर्वाचन पदाधिकारी अनिल कुमार चौहान ने मिलक विधानसभा इलाके में संवैधानिक पदाधिकारियों को धमकाने, भद्दी भाषा का इस्तेमाल करने और दंगा भड़काने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आजम खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के मुताबिक खान ने धर्म के नाम पर खास समुदाय से वोट मांगा और नफरत फैलाने की कोशिश की थी। जो साफ तौर पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।
क्या है आजम खान का बयान जिसे कोर्ट ने माना भड़काऊ
शिकायत के मुताबिक आजम खान ने अपने चुनावी भाषण में कहा था, ‘मोदी जी ने देश में ऐसा माहौल बनाया है जहां मुसलमानों के जीने तक में दिक्कत है… कांग्रेस उम्मीदवार को भी मुसलमानों से नहीं हिंदू भाइयों से वोट मांगना चाहिए। अगर आप मुस्लिमों का वोट मांगते हैं तो आप मुस्लिमों को वोट बांटते हैं और बीजेपी की जीत तय कर देते हैं। जो तुम्हें कुत्ता और पिल्ला कहते हैं, उनसे बदला लेना चाहिए।’ इसके अलावा आजम खान ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ( रिटर्निंग ऑफिसर) के खिलाफ बयान देते हुए कहा था कि ये लोग रामपुर को जहन्नुम बनाने और दंगा फैलाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। खान ने सरकारी पदाधिकारी की निजी जिंदगी और परिवार पर भी निशाना साधा था। सपा नेता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आईपीसी के सेक्शन 302 ( हत्या ) के तहत आरोपी भी कहा था। उन्होंने डीएम के बारे में कहा कि वह सीएम योगी आदित्यनाथ के इशारे पर काम करते हैं।