दिल्ली में आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही विवाद शुरू हो गया है। पहले उनके बंगले को लेकर विजिलेंस की ओर से अधिकारियों को नोटिस दिया गया। बाद में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने दिल्ली सीएम आवास को ही सील कर दिया। इससे बाद से एक बार फिर आम आदमी पार्टी और एलजी के बीच तकरार बढ़ गई है। पीडब्ल्यूडी का दावा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगला खाली करने के बाद चाबियां उसे नहीं सौंपी गई।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल मुख्यमंत्री आतिशी पिछले दिनों 6, फ्लैग स्टाफ रोड बंगले में शिफ्ट हुई हैं। यह बंगला पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आवंटित हुआ था। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सरकारी बंगला खाली कर दिया और नए घर में शिफ्ट हो गए। इसके बाद मुख्यमंत्री आतिशी इसी बंगले में रहने चली गईं। दिल्ली में मुख्यमंत्री समेत सभी विधायकों को आवास पीडब्ल्यूडी मुहैया कराता है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने घर खाली करने के बाद पीडब्ल्यूडी को कब्जा नहीं दिया।
वहीं आतिशी को 17एबी मथुरा रोड आवास पहले ही आवंटित किया गया था। ऐसे में वह दो घरों पर एकसाथ कब्जा नहीं ले सकती हैं। एलजी ऑफिस की ओर से कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल की ओर से पीडब्ल्यूडी को चाबी सौंपने के बाद इसे किसी और को विधिवत अलॉट किया जा सकता है। सीएम आतिशी इस बंगले में भी रह सकती हैं लेकिन जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा।
बंगले को लेकर क्या हैं आरोप?
बीजेपी ने सीएम आवास के रिनोवेशन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पिछले एक साल से यह जांच के दायरे में है। इसके बाद से विजिलेंस विभाग पूरे मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में PWD के 10 अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही और निलंबन का सामना करना पड़ा है। अब इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। 8 अक्टूबर को जारी अपने कारण बताओ नोटिस में सतर्कता विभाग (विजिलेंस) ने कहा कि 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित आवास को कभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के रूप में चिन्हित नहीं किया गया है। यह मामला सीपीडब्ल्यूडी, सीबीआई और सतर्कता निदेशालय, जीएनसीटीडी के अधीन है।
इसके रिनोवेशन में की गई कथित तौर पर अनियमितताओं का मामला भी अभी लंबित है। पहले यह बंगला तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आवंटित किया गया था। इसमें वह अपने परिवार के साथ रहे थे। नोटिस के अनुसार, मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सीएम के अतिरिक्त सचिव रामचंद्र एम ने 4 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव को एक नोट दिया। इसमें कहा गया कि बंगला वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित किया जाए।
इसके बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के आवास को खाली करने और पीडब्ल्यूडी को चाबियां सौंपने से संबंधित दस्तावेज और अन्य औपचारिकताओं के लिए अपने अधिकारी को नियुक्त किया। पीडब्ल्यूडी ने इस बारे में विशेष सचिव को लिखा था, लेकिन उन्होंने पीडब्ल्यूडी के निर्देशों के बावजूद चाबियां नहीं सौंपी हैं। अधिकारियों को सरकारी भवन की चाबियाां नहीं सौंपने से संबंधित अधिकारियों को कब्ज़ा नहीं सौंपा जा रहा है, जिससे भवन की सूची और उसके अंदर मौजूद वस्तुओं पर असर पड़ सकता है।
क्या लगे हैं आरोप?
दरअसल पूरा मामले तब सामने आया जब विजिलेंस की ओर से पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया। PWD की ओर से कहा गया कि है कि तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास खाली करने के बाद चाबियां वापस ले ली गईं थीं। इसके बाद सीएम दफ्तर के डेप्युटी सेक्रेटरी सतिंदर मोहन ने भी पीडब्ल्यूडी के असिस्टेंट इंजीनियर को भी एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि 4 अक्तूबर को केजरीवाल ने आवास खाली कर दिया। उस दौरान CM कैंप ऑफिस में मौजूद सेक्शन ऑफिसर मुकेश कुमार को चाबी सौंप दी गई थी। इसके अगले दिन यानी 5 अक्टूबर को PWD के जूनियर इंजीनियर करम सिंह यादव ने CM कैंप ऑफिस के सेक्शन ऑफिसर विजय कुमार को सरकारी आवास खाली करने की रिपोर्ट पेश की थी। मुख्यमंत्री आतिशी ने 6 अक्टूबर को दोपहर 2.00 बजे CM आवास का दौरा किया। इसके बाद पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने सीएम आतिशी को चाबियां सौंप दी थीं।
